बस बेटा श्रवण कुमार हो ,पति नही
अपनी सहेली से फोन पर बात कर रही थी काजल ।पता है अंबर मेरा इतना ध्यान रखता है कि क्या बताऊँ ,कितनी देर हो जाये मेरे बिना खाना नही खाता ।जरा सी देर रसोई मे ज्यादा लग जाये तो तुरंत कहता है क्या मम्मी इतनी देर से क्या कर रही हो रसोई मे ,यहाँ बैठो आकर । सहेली ने भी अंबर की तारिफ की बहुत समझदार है। काजल का बेटे की तारिफ सुन कर खुन कई गुना बढ गया था। काजल का बेटा बारँवी मे था । काजल बहुत ध्यान भी रखती जैसे सभी माँ रखती है। काजल के पति वरूण आफिस से आये काजल चाय ले आई ,तभी वरूण ने कहा काजल मठरी बनाना चाय के साथ ,माँ बहुत अच्छी मठरी बनाती है लगता है खाये जाओ । तभी काजल का मुँह बन गया क्युंं मै भी तो बनाती हुँ ।हाँ हाँ पर माँ के हाथो का स्वाद भूला नही जाता । काजल को तो बस सासु माँ की तारिफ बरदाश्त ही नही होती थी।काजल सारा दिन नही बोली । वरुण जब भी कोई बात करते माँ या बाबा की काजल तपाक से बोल देती वही रह लो यहाँँ क्या काम । हँसी मजाक मे भी ससुराल मे किसी कि तारिफ सुहाती नही थी। एक दिन वरूण ने बताया काजल मै सोच रहा था माँ बाबा को बुला लूँँ। बहुत दिन से आये भी नही । अंबर खुशी से