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Showing posts from February, 2019

बस बेटा श्रवण कुमार हो ,पति नही

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अपनी सहेली से फोन पर बात कर रही थी काजल ।पता है  अंबर मेरा इतना ध्यान रखता है कि क्या बताऊँ ,कितनी देर हो जाये मेरे बिना खाना नही खाता ।जरा सी देर रसोई मे ज्यादा लग जाये तो तुरंत कहता है क्या मम्मी  इतनी देर से क्या कर रही हो रसोई मे ,यहाँ बैठो आकर । सहेली ने भी अंबर की तारिफ की बहुत समझदार है। काजल का बेटे की तारिफ सुन कर खुन कई गुना बढ गया था।  काजल का बेटा बारँवी मे था । काजल बहुत ध्यान भी रखती जैसे सभी माँ रखती है। काजल के पति  वरूण आफिस से आये  काजल चाय ले आई ,तभी  वरूण ने कहा काजल  मठरी  बनाना चाय के साथ ,माँ  बहुत अच्छी मठरी बनाती है लगता है खाये जाओ । तभी काजल का मुँह बन गया क्युंं मै भी तो बनाती हुँ ।हाँ हाँ पर माँ के हाथो का स्वाद भूला नही जाता । काजल को तो बस सासु माँ की तारिफ बरदाश्त ही नही होती थी।काजल सारा दिन नही बोली । वरुण  जब भी कोई बात करते माँ या बाबा की काजल तपाक से बोल देती वही रह लो यहाँँ क्या काम । हँसी मजाक मे भी ससुराल मे किसी कि तारिफ सुहाती नही थी। एक दिन वरूण ने बताया काजल मै सोच रहा था माँ बाबा को बुला लूँँ। बहुत दिन से आये भी नही । अंबर खुशी से

काश समाज का सोचा ना होता

विदाई हो थी  साधना की।   घर सुना सुना हो गया मम्मी पापा ने रो रो कर ऑ॑खे सुजा ली थी । जान से प्यारी बेटी ना जाने कैसे रहेगी?नया घर, नया माहौल भूख लगेगी तो कैसे कहेगी ?यहाॅ॑ तो शोर मचाने पूरा घर सिर पर उठा लेती। कुछ तो दो खाने को अभी देर कैसे हो गयी बनाने में कहने लगती तब कुछ हल्का सा दे दे ती तब शांत होती।कैसे कहेगी वहाॅ॑?मधु जी ने रोते हुए मनीष जी से कहा।मनीष जी की आंखे भर आई। शाम को फोन कर देगें।मधु ने फोन मिला दिया हैलो साधना बेटा  नमस्ते मम्मी ,पापा कैसे हैं बहुत याद आ रही है।बेटा रोना नहीं कल पग फेरे के लिये आना है।हमारा भी मन तुम में ही पड़ा है ।जल्दी आजा।सब ठीक है वहाॅ॑? हाॅ॑ मम्मी आज संगीत है।तैयार हो रही थी। कल घुमने जा रहे हैं। वापस आकर पग फेरे की रस्म होगी।ओहहह अरे ऐसा क्युं? मम्मी पता नहीं कम छुट्टी मिली है ,रोहित को शायद इसलिेए।अच्छा चल तुझे तैयार हो जा हम दोनों बाद में बात करते हैं।ओके मम्मी पापा आई लव यु । ससुराल वाले जो करेंगे अब तो वो ही होगा। फोन पर बात हो जाती थी जिया से ।पर साधना की आवाज में वो खुशी महसुस नहीं होती जो मम्मी पापा चहकना सुनना चाहते थे। सोच

पहरेदार मन के..

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मेरा नाम राघव है और आज मैं हॉस्पिटल में अपनी पत्नी प्रभा की रिपोर्ट्स लेने के लिए जा रहा हुँ ।कदम आगे नहीं बढ़ रहे ,हाथ पैर कांप रहे हैं ,दिल घबरा रहा है । ।आज हम दोनों की कोशिश कामयाबी की तरफ बढ़ेगी या नाकामयाबी का एक चादर ओढ़ ली जाएगी हैलो !   सर मुझे प्रभा की रिपोर्ट लेनी थी  ।क्या रिपोर्ट आ गई है ,जी हां बिलकुल रिपोर्ट आ गई है दिल बहुत जोर जोर से धड़कने लगा था ।क्या होगा ?क्या होगा ?बस सर आपको थोड़ी देर के लिए बैठना होगा प्रिंटर में कुछ प्रॉब्लम आई है ।आधे घंटे का काम बचा है आप लेते ही जाए रिपोर्ट वैसे मैं मेल कर दूंगा आपको। नहीं, मुझे  यहाँँ से कि मुझे डॉक्टर के जाना है तो मैं थोड़ी देर इंतजार करूं करूँगा ।जी, बिल्कुल क्या आप  बताएंगे की रिपोर्ट में क्या है?रोहन ने ड़रते हुये पूछा । जी हाँँ एक मिनट  ,प्रभा जी  की रिपोर्ट नॉर्मल आ गई है ।राघव सुनती ही धमम.. से कुर्सी पर बैठ गया और बच्चे की तरह रोने लगा। यह खुशी और सुकून की आंसू थे ,जो यकीन नहीं कर पा रहे थे। राघव कुछ दिन पहले की ख्यालों में खो गया । कितना खुशनुमा घर था ,दो बच्चे छोटे पूरब और दिशा। सबके साथ कितने प्यार से