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Showing posts from May, 2019

अंतर्मन की ऑ॔खे

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अंतर्मन की  ऑ॔खे -------- नैना नाम था  पर   नैनो  मे भगवान  ने रोशनी  ही नहीं दी थी ।नैना नेत्रहीन हुई।  पर सुंदरता मे परी थी ।नैना के पिता आर्मी में थे ।नैना की मां , पिता  नैना का बहुत ध्यान रखते थे ।दोनों उसको कुछ काम नहीं करने देते कि कहीं वह नहीं कर पायी तो.... , वह गिर जाएगी ,उसके चोट लग जाएगी , नैना पूरी तरह अपने मां और पिता पर निर्भर हो गई थी ।लाड़ प्यार में पता ही नहीं चला कि नैना बारँवी कक्षा मे  आ गई।     नैना के पिता के दोस्त आए और उन्होंने नैना के पिता को सूरज को समझाया कि तुम दोनों हमेशा उसके साथ नहीं रहोगे , उस को आत्मनिर्भर बनने दो , नैना के पिता सूरज  ने कहा मुझे और किरण (नैना की मां )दोनों को नैना की बहुत चिंता रहती है ।हम पूरी जिंदगी तो उसके साथ नहीं रह सकते,   पर क्या करे ?वो कुछ कर भी नही सकती । सूरज के  दोस्त ने कहा बारँवी पूरी हो रही है । कंथारी में एक ट्रेनिंग सेंटर है,  वहां उसका एडमिशन करा दो । लीडरशिप की ट्रेनिंग और   आत्मनिर्भर बनाएगी।  सूरज ने बिना देर किये   तुरंत उसका एडमिशन कंथारी में करा दिया ।पर उन दोनों को हमेशा यह चिंता थी  कि नैना जो एक गिलास पा

बचपन में बहुत कुछ छूट गया ।

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बचपन में बहुत कुछ छूट गया..... तुम रोज रोज इतनी मंहगी आइसक्रीम बच्चों को ले आते हो।आदत खराब हो जायेगी। सिया ने नील से कहा। देखो सिया ,बचपन में मुझे कभी महंगी आइसक्रीम नहीं दी पिता जी ने,पर रूपये नहीं थे। और जब थे तब भी नहीं दिलायी।जो मुझे नहीं मिला ,मैं बच्चो को तरसाऊंगा नहीं। नील, तुम्हें समझाकर थक गयी हूं। कम खर्चा करो ।घर में भी जरूरतें है।गुस्से मे सिया  बोली।( कुछ दिन बाद) नील कहां गये थे ? देखो सामने, सिया ने देखा राहिल साइकिल पर! मम्मी ,पापा मेरी बीस गेयर की साइकिल लाये हैं। नील, वो जो रूपये थे बैंक में ,तुमने इतनी महंगी साइकिल पर खर्च कर दिये।वो मकान की किश्त के थे।सिया गुस्से में बोली। सिया ,सब बच्चों पर गेयर की साइकिल थी।उसका तीन दिन बाद जन्मदिन भी है ।सबसे ज़्यादा गेयर की लाया हुं।याद है जब बचपन में सबके पास  साइकिल होती थी , बस मेरे नहीं तो कितना मन दुखता था। बच्चों के साथ नहीं होने दुंगा।नील ने कहा।सिया बहस नहीं करना चाहती थी पर बहुत परेशान रही सारा दिन।  रात को राहिल के जन्मदिन पर बहुत बड़ी पार्टी करने की सोच रहा हुं नील ने कहा तुम क्या कहती हो सिया ? ब

रिश्ता मेरा तुम्हारा नहीं ,हमारा होता है।

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रोहन क्या सारा काम मेरा ही है?' तुम कुछ हाथ नहीं बता सकते ।घर के  काम  तुम भी कर सकते हो अगर चाहो तो' रचना ने जोर से कहा ।रोहन क्या मतलब है तुम्हारा रचना?  मेरा काम क्या? मैं काम नही कर रहा हूं ?सब तुम संभाल रही हो? मैं बाहर से सामान वामान सब ला रहा हूं ।नहीं रोहन, सारी जिम्मेदारी मेरे पर ही है। घर का काम भी बड़ा ही होता है ।रचना जोर से बोलती हुई किचन में चली गई। "पूजा शुरू होने वाली है और तुम्हारे घरवाले अभी तक नहीं आए?" रोहन ने गुस्से से कहा ।'आ जाएंगे ,कुछ काम में होगा 'रचना ने कहा और तुम्हारे पापा ने भी तो कुछ दिन पहले नहीं बताया ।परसों तक तो बुला नहीं रहे थे ‌कल फोन कर दिया कि कल पूजा है। तो समय तो लगेगा ही । रोहन भी गुस्से में बोला 'जब तक पक्का नहीं था किसको बुलाना है किसको नहीं।तो क्या करते?' हां मेरे परिवार वाले मेहमान है ।अपना क्युं समझोगे? अगर मैं भी ऐसा समझुं तो ? रोहन घर के काम में लगा था।पूजा का सामान ,फल फूल सब ले आया था।  मेहमानों के लिए खाना, नाश्ता सब बाहर से ही बनवाया था। अरे !रचना 'तुमने कपडे नहीं बदले'रोहन ने

हमारे मन का रिमोट दुसरो के हाथ में क्युं ?

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हमारे मन का रिमोट दूसरों के हाथ में क्यों? ...... राधा तेजी तेजी से काम कर रही थी बिना कुछ बोले । सुरेश जी समझ गए आज राधा का मूड ऑफ है ।क्या हुआ बच्चों? मम्मी का आज मूड ऑफ है ।पता नहीं पापा ,जब से दोपहर से आई हैं तब किसी से बात नहीं कर रही ।हां जब काम जल्दी जल्दी करने लग जाती है तो समझ लो गुस्से में  कर रही है  सुरेश ने हंसते हुए कहा क्या हुआ बात है? सब पार्क में बैठी थी ,सब पूछने लगे कल शादी की सालगिरह पर क्या किया? मैंने कह दिया कि ऑफिस से देर से आये थे इसलिए कुछ घर पर ही मंगा कर खा लिया था ।सब कहने लगे यह दिन भी कोई ऐसी साधारण सा बिताने का है और मुझे चार बातें सुना दी। अरे तो तुम कह देती कि  जैसा समय होता है सब वैसे ही करते हैं ।खाने पीने का क्या है? वह तो हम शनिवार इतवार खूब चले ही जाते हैं कहीं ना कहीं। पर सब तो हमें कंजूसी समझ रहे होंगे ना ! ओ हो ! तुम दूसरों की बातों में क्यों आ जाती हो ?हमारा जो मन आए हम वह करें। दूसरों की बातों को इतना ध्यान देने की जरूरत नहीं है। राधा अपने उठकर उदास काम में लग गई। तभी राधा की सहेली का फोन आता है और राधा एकदम बात  कर हंसने लगती