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Showing posts from December, 2018

एलियंस एक रहस्य ( भाग 2)

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क्या एलियंस है? क्या यह किसी दूसरे ग्रह पर रहते हैं ?चांद, तारे, मंगल ग्रह ,परलोक वासी भी कहते हैं। इस पर बहुत दिनों से रिसर्च चल रही है ।यह चर्चा का विषय है वैज्ञानिक इसको अलग ढंग से देखते हैं ।             हिंदुस्तान के ग्रंथों में कुछ चीजों का अलग तरह से उल्लेख किया गया है बहुत से ग्रंथ में कहा गया है कि कई तरह के लोग होते थे ।देवलोक    पीतरलोक   ,पृथ्वी लोक पाताल लोक। , अलग अलग होते थे ।और इसमें एक से दूसरे लोक  में जाने के लिए उनके विचार , सोच , उम्र ,कार्य  ,सब बदल जाते थे ।           हमारे देश में वैज्ञानिक अब तक खोज कर रहे हैं क्योंकि जो पहले श्लोक , चालीसा ग्रंथ,  में जो लिखा है वह उनके बहुत गहरे अर्थ अब पता चल रहे हैं जो कि संस्कृत में दिए गए थे।  हनुमान जी के बारे में भी उनकी चालीसा में सब कुछ विवरण है  ,सूर्य से पृथ्वी तक की दूरी सब ऐसे उदाहरण हमें देखने को मिलते हैं । जैसे इनमें नाग   ,यक्ष   ,गंधर्व ,किरात ,   विद्याधर  ,ऋक्ष,    पितर      ,देवता प्रजापति।    ,दिक्पाल हुआ करते थे।क्या पता ये ही ये दुसरे ग्रह के वासी हो ? नाग -- सर्प नहीं होते थे इनका रूप निश्चित न

एलियंस एक रहस्य (भाग 1)

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बहुत पहले समय से वैज्ञानिक यह खोज कर रहे हैं कि इस ग्रह की अलावा भी दूसरी जगह पर प्राणी है ।कुछ लोग इस बात को मानते हैं कुछ नहीं मानते ।  वैज्ञानिकों मे भी इसका चर्चा का विषय यह बना हुआ है   पर इसके काफी सुबूत देखने को भी मिले हैं कि कुछ तो है... जैसे  बहुत लोगों ने उड़नतश्तरी के बारे में सुना और देखा भी है ।         हो सकता है ,यह काल्पनिक हो.. और हो सकता है ऐसा हुआ हो ।बहुत सारे लोगों ने उस जगह का निशान देखा है, जहां पर वो उड़नतश्तरी रुकी होगी ।कुछ लोगों कुछ वैज्ञानिकों का दावा है कि इनकी एलियंस कि लंबाई 3 फुट रही होगी । अगर यह दूसरे ग्रह के वासी है  ..एक रहस्य ही है पर कुछ कुछ लोगों का मानना है कुछ पुख्ता सबूत है मिले हैं जिन्हें देखकर यकीन करना मुश्किल है क्योंकि वह ऐसा लगता नहीं कि वह मनुष्य द्वारा बनाई गई चीजें नही  हैं... हिस्ट्री चैनल की रिपोर्ट कहती है 'एरिक वॉन डे निकेन 'इन की किताब ''चैरियोटस ओफ  गॉड'' ने सोचने पर मजबूर कर दिया यह वैज्ञानिक पुरानी सभ्यता पर रिसर्च करते थे ...उनके अनुसार मिस्र के पिरामिड वहां के निवासियों द्वारा नहीं बनाए गए क्

खोदा पहाड़ निकली चुहिया

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ये बात मेरे साथ ही हुई। जिसे सोचकर आज भी हँसी आ जाती है😃। इसी गर्मियोंं की छुट्ठियोंं मे मै आपने मम्मी ,पापा के साथ घर आ रही थी । पापा -मम्मी ,भाई ,भाभी  के साथ ही खुश रहते ।बेटी के घर कम ही आते ,मेरे पति ने उन्हे बहुत कहा  बहुत कहने सुनने के बाद वो मान गये।  😄👍        हम एयरपोर्ट आ गये  ।बच्चे भी खुशी से फूले नही समा रहे थे नाना ,नानी साथ चल रहे है। चैकिंग हो गयी । हम निश्चिंत होकर बैठ गये। थोडी देर बाद हमारे पास एक फोन आया सिक्योरिटी से कि आपका सामान रोक लिया गया है  नीचे सैक्शन मे पहुँचे । 🤔        हे भगवान ! क्यूँ हुआ ,क्या हुआ होगा ।अभी तक तो सब सही था । मेरे पैर मे चोट लगी थी ज्यादा चलना भी मुश्किल था । मै जाने लगी तो मेरे पापा ने कहा तुम बैठो मै जाता हुँ ।पापा की भी बहुत कमर मे दर्द था ।तो मुझे मम्मी को चिंता थी क्युकि काफी दूर बुलाया गया था। मै ये सोचकर तो निश्नचिंत थी कुछ एसा नही होगा जिससे   हमे रोका जाये आगे। पर ये सोचकर चिंता कि पापा को साथ ले जा रही हुँ और बैठे बिठाये बिना बात की मुसीबत । 🙄 गो डाउन जहाँ से सब सामान फ्लाइट मे जाता है ।किसी एक को ही जाना था ।वो

मुझको है तुझसे राब्ता

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रजनी का पति  सूरज किसी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में बड़े पद पर था।सूरज ने एकाएक बताया कि उसका प्रमोशन हुआ है और वह अपनी ही कंपनी के दूसरी ब्रांच हैदराबाद में जा रहा है। रजनी 15 दिन बाद की फ्लाइट है और हम हैदराबाद शिफ्ट हो रहे हैं। सूरज ने बहुत खुशी के साथ रजनी को बाँँहों में भरते ही कहा," कितना अच्छा होगा नया शहर,  नए लोग, नयी कंपनी का माहौल"।       रजनी बहुत खुशमिजाज थी ,सबका मन लगाये रखती थी।रजनी का मन उदासी से भरा था, उसे लग रहा था ,आज मैं दिल्ली और सब मेरे मम्मी पापा सब परिवार ससुराल रिश्तेदार सब यहां है ।हैदराबाद में हमारा कौन है? वहां कैसे मन लगेगा? नहीं सूरज  इतनी दूर ....!सूरज  बोला तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि मेरा प्रमोशन हुआ है रजनी ने कहा ,"मैं खुश हूं ..       सूरज कौन पत्नी नहीं चाहेगी पति की तरक्की" पर आंध्र प्रदेश,  हैदराबाद उधर साइड में हम कभी नहीं गए। कोई नहीं आएगा वहाँँ ।जल्दी से हम नहीं आएंगे यहां कोई हमारे से मिलने नहीं आएगा ।कैसे रहेंगे ?पता नहीं कैसे लोग होंगे? सारी दुनिया रहती है रजनी, हर जगह मिनी इंडिया बन जाता है, सब को अपना बनाने में आपका

आओ अनाथालय को वृद्धाश्रम से मिलाये

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आओ एक कदम उठाये क्यों ना  वृद्धाश्रम को अनाथालय से मिलाये..... बेबस खड़ा राह निहारे, काश कोई आता देने सहारे जिसको पुकारूँ अम्मा -बाबा,गोदी में उठा ले वो कह के बाला मैं उनकी खुशियों का बन जाऊं सहारा हम मिले... हो परिवार हमारा  उनको बच्चे की चाहत, मुझे अम्मा बाबा,  बन एक दूसरे के हम पूरक हो जाएँ|  क्यूंं ना वृद्धाश्रम को अनाथालय से मिलायें। ये मेरे मन के विचार हैं हो सकता है कोई सहमत ना भी हो पर मुझे हमेशा लगा बुजुर्गों को सुनापन दूर करने के लिये कोई तो सहारा चाहिये ।बच्चों को उनका अनुभव ,सीख मिलेगी जो सयुंक्त परिवार में दादा-दादी ,नाना-नानी से मिलती है और दोनों एक दूसरे का सहारा होंगे। जो इन्हें छोड़ गये उन्हें याद करने के बजाय खुशियाँ एक दूसरे में ढूंढेगे। आजकल बहुत सुविधा हो गयी है अनाथालय में ,और वृद्धाश्रम में भी बहुत ध्यान रखा जाता है ।अगर ये दोनों मिला दिए जाये तो एक दूसरे के पूरक हो जाएं।बड़ों को बच्चों का साथ मिले ,हँसने ,बोलने से जिन्दगी जीनी और आसान हो जाये। बहुत दुख होता है जब बिना माता-पिता के बच्चों को देखते हैं कुछ करने की चाहत तो है देखो कब पूरी हो। और

विदाई...

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दुल्हन की विदाई-- दूर गुंज रही थी शहनाइयाँ,इस क्षण की अनुपम बेला पर , अतिथियोंका आगमन  और चहल पहल ,दूर कर रही थी तन्हाईयाँ। सजी दुल्हन का मन मोहक रूप ,जीवन की बता रहा था सच्चाईयाँ। बचपन बीता ये घडी़ आई , दुल्हन को घेर रही थी उदासी और  तन्हाई। पर लग था  देखकर उसका रुप, जैसै सूरज ने बिखेर दी हो धूप बाल घटा का दे  रहे थे इशारा,लाल चुनरिया ,टीका था जगमगा रहा । रौनक का ये पहर , दुल्हन पर ढा रही थी कहर। नये जीवन में प्रवेश ,दे रही थी.नया सन्देश भूल जा बाबूल की गली, याद कर ले नयी गली। ये कैसी रीत है ,कैसा है फसाना अपनो को पराया ,परायो को अपनाना घर से निकलने पर हो रही थी उसकी विदाई पर उसको आज सारी दुनिया, लग रही थी.पराई....... ये सच ही है की एक लडकी को अपने घर  से दूर होना पडता है  उसके मन मे ना जाने कितने सवाल ,कैसै रहुंंगी सब से दूर ?कैसै होगें वहाँ सब ? अनगिनत सवालो के घेरे मे  उलझी सहमी दु्ल्हन की सोच, कब मिल पाँँउगी  सबसे ?  अनजानी डगर पर  दुसरे परिवार का प्यार मिलते ही  वो प्यार के साथ रिश्तो को अपनाकर आगे जिन्दगी को खुशनुमा बना देती है....              

खींचे तेरी ओर प्यार की डोर

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कैसी घड़ी है दुविधा घेरे खड़ी है ,अनजानी उलझन है,  शायद मैं परेशान हूँँ... आज इस मोड़ पर, दुख के इस छोर पर मैं हैरान हूँँ   , शायद मैं परेशान हूँँ। वक्त के साथ लोग पीछे छूट जाते हैं पर यादों को भुला नहीं पाते हैं  मीठी यादों के घेरे में , आज मैं हैरान हूँँ शायद मैं परेशान हूं ...  यह कैसी रीत है,  कैसा है फसाना, तुम्हें हमें छोड़कर दूर है जाना  जहां भी जाओगी,  ना हम भूल पाएंगें, ना तुम भूल पाओगी   सोचती हूं तुम्हारे जाने से  ,कितनाअकेला पाती हूँँ मैं ,   बीते लम्हों को याद करके  ,  मैं हैरान हुँ.... शायद  आज मैं परेशान हुँ... कैसे रह पाऊँगी मौली के बिना ? बस राखी ने मन  की बेचैनी डायरी मे लिख डाली  और बंद कर दिया डायरी को । सब मेहमान चले गये ,चाय पीने का मन भी था  पर बनाने की बिल्कुल़ इच्छा नही ,  सिर दर्द भी हो रहा था  । शायद आराम मिले सोच कर  उठने लगी तो मानव दो कप चाय बनाकर ले आये ।ये लो अदरक की तेज पत्ती की चाय  ।अरे आपने क्युं बना ली ।  आज हमारी  लाडो विदा हुई    तो सूना लग रहा है घर । कप लिये दोनो खिडकी के पास बैठ गये जहाँ अकसर बैठते और बाहर का मौली को खेलता , न

कनक (भाग-1)

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मीशू ने सुबह न्यूज पेपर उठाने के लिये दरवाजा खोला ,सामने देखा तो सामने का दरवाजा खुला था, चलो कोई पडोस मे तो आया  । रोहन चलो मिल आये मीशू ने रोहन को कहा, रोहन ने कहा  मीशू  अभी अभी आये है सामान बिखरा हुआ है कल चलेगें । क्या  रोहन बैठेगें नही केवल कुछ                               औपचारिकता तो निभानी चाहिये , नये नये है कुछ चाय, पानी चाहिये हुआ तो...चलो ना ,हाथ पकड कर ले जाने लगी अच्छा ठीक है रोहन  ने कहा...चलो पर थोडी देर के लिये।सामने डोर बैल की ,एक मीशू की हम उम्र ने दरवाजा खोला , कौन है एक पीछे से तेजी से आवाज ...हम है  आपके पडोसी  मीशू  ने भी तुरंत कहा और एक छोटी सी मुस्कुराहट , सामने हम उम्र सी दिखने वाली शिफान की साडी को पल्ला कमर मे दबाये ,पसीने से लथपथ ,एक छोटी सी मुस्कुराहट से कहा आईये अंदर मै कनक हूँँ, तभी जा तू काम कर ,एक बुजुर्ग महिला आती हुई बोली । कनक घबराकर अंदर चली गयी। आओ अंदर आओ ..मेरा बेटा राघव और उसके पिता जी बाहर गये है।,नही नही बस रोहन ने कहा आपको किसी भी चीज की जरूरत हो तो बे झिझक कहियेगा। जी जरूर,और मीशू , रोहन घर आ गये ।रोहन कुछ अजीब सी डरी थी ना कनक, मीशू रस

कनक ---(भाग 2)

आपने पढा मीशू के नये पडोसी आये  कनक उस घर की बहु अपनी सास से डरी सहमी , राघव उसका पति को अहसास ही नही....आखिर क्यू...... अब आगे.. अगले दिन कनक की सास वापिस आ गयी थी , किटी मे कनक नही आई जैसा की उसने कहा था। मीशू को अचानक कही  जाना था  कही रोहन ना आ जाये मेरे जाने के बाद सोचकर  चाबी देने कनक के दरवाजे तक जा पहुँची ,डोर बैल बजाने ही वाली थी दरवाजा थोडा खुला था, कि कनक के रोने की आवाज सुन कर रूक गयी ।        आंटी जोर जोर से चिल्ला रही थी , कनक तू ये ना समझ की मैनै तुझे अपना लिया ,ना जाने राघव ने कौन से मनहुस दिन तुझ से शादी की । उसके सामने ये रोना धोने का पता ना चले अगर हमारे खराब रिश्ते की उसे भनक भी लगी ।मीशू ने जरा सा झाँक के देखा तो दंग रह गयी मीशू विस्मित सी उन्हे देखती रह गयी कितना अजीब व्यवहार, कनक के बाल खींच रखे थे कनक रोये जा रही थी।कौन है?? अंदर से आवाज ने मीशू को हिला दिया वो जल्दी लिफ्ट से नीचे आ गयी। रोहन को फोन कर दिया कि चाबी मेरे पास है,आ जाये तो पार्क मे इंतजार करे। घर आकर उसने रोहन को बात बतायी।       सारी रात का सन्नाटा उसके दिल पर चाबुक सा चल रहा था  नारी की ग

कब तक रोकोगे ?

एक छोटा सा गाँव नाम था यमुना नगर ।मै नैना अपने माँ ,बाबा के साथ रहती थी ।जब छः साल की हुई तो हमेशा माँँ ,बाबा का ध्यान रहता कि कहाँ गयी किसके घर गयी है शायद मै अपने माँ ,बाबा की प्यारी नैना थी जिसे वो अपनी आँखो से ओझल नही देना चाहते थे या ये सर्तकता थी जो रोकती थी.....कि आजकल का जमाना विश्वास का नही था, माँ को अकसर कहते सुना नैना को ज्यादा मत भेजो किसी के घर जमाना खराब है।            बारह तेरह साल की उम्र मे ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा किसी पडोस मे जाने पर समय बता दिया जाता घर छः बजे तक आ जाना अगर जरा देर होती तो माँ घबरा जाती और लेने पहुँच जाती पडोसी को बहाने बना देती कि नैना का खाने या सोने का समय है ।ये भी उनका डर और प्यार दोनो थे। तब तक मुझे भी उनकी बात समझ आने लगी थी।  कालेज मे आ गयी थी पढाई मे बहुत तेज थी हमेशा फस्ट आती माँँ ,बाबा तारिफ मे फूले ना समाते। कालेज मे आगे जाने के लिये शहर जाना था माँ ,बाबा को कोई एतराज नही था पर आस पडोसी माँ बाबा को कुछ ना कुछ सुनाते लडकी को दूर भेजना ठीक नही कुछ ऊँच नीच ना हो जाये , लोग बाते बनायेगेंं।माँ बाबा ने मेरे और अपने मन की सुनी कालेज जाने

अगर तु साथ है तो....

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विभा का  आज आखिरी पेपर था वो खुशी से फूली नही समा रही थी। अब बस सुमी के साथ खुब बातें करेगी,  बी.ए की परिक्षा दी  थी।जैसे ही घर के दरवाजे पर कदम रखा  जोर से आवाज करती हुई माँ को बोली माँ जल्दी से खाना दे दो फिर मै आज देर तक सुमी से मिलने जाँँऊगीहाँ हाँ पहले खाना खा फिर चली जाना जल्दी जल्दी कपडे बदल कर खाना खाने बैठ गयी माँ तुमने खाना खाया ,विभा ने पूछा नही तेरे बाबूजी आते होगें तभी खा लूँँगी।            विभा सुमी के घर गयी सुमी की  मम्मी बोली आज तुम दोनो के पेपर खत्म हो गये और एक खुश खबर भी देनी है लो खीर खाओ ।विभा उत्ससुकता से पूछने लगी आंटी पहले आप खुशखबर बताओ  , सुमी की मम्मी ने बताया अभी पता चला सुमी  की जहाँ शादी की बात चल रही थीं उन्होने हाँ कर दी लड़का  बडी कम्पनी मे  है और परिवार भी बहुत अच्छा है राज करेगी कहकर सुमी की मम्मी सुमी को देखकर हसँने  लगी। सुमी अभी शादी के लिए तैयार नही थी वो कुछ बनना चाहती थी,लाख बार समझाने के बाद भी मम्मी पापा   हाथ से अच्छा लड़का  जाने नही देना चाहते थे।विभा ने खीर खाई और खुब तारिफ भी की वो भी आंटी को समझाने मे असर्मथ थी।      

स्वार्थी रिश्ते

कब तक रिश्ते निभाते रहे जब दुसरे कमी गिनाते रहे हम हर बार झुके , उन्हे अब तक संभाला ना जाने कितना कुछ दे ड़ाला उनकी शिकायतो का रहा दौर जारी ऐसे रिश्ते जब सिर दर्द बन जाये उन रिश्तो को हम क्यु निभाये (धरा)

बीत गयी सो बात गयी

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रिश्तो को विराम दें

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कहता है जोकर सारा जमाना,आधी हकिकत आधा फसाना

जोकर का ध्यान  आते ही हँसी मजाक वाला एक बौना कम कद का ही ध्यान आता है  ।सामने उसकी जिन्दगी हँसी मजाक की ,पर पीछे उसको भी कोई दुख हो सकता है ,पर काम उसका हँसाना ही है तो मन ना भी हो झुठ ही मुस्कुराना होता है।ऐसी ही.एक कहानी है ,छुटकू की....  सफेद रंग से रंगा चेहरा ,नाक लाल रंग की बाल ,पैरो मे बडे़ जूते पहन भारत सर्कस मे सबको हँसाता । दिल का बहुत साफ ,सबके दुख मे आगे। झुमता चलता ,गाने का बड़ा शौक था। कद छोटा था तो सब छुटकू कहते । रस्सी पर झुलता एक से दुसरी ,तीसरी ,डर तो था नही झुलते भी सबको खुब हँसाता । जोकर कहते थे सब । ऊटपटांग काम करता ,मसखरी करता शारीरिक क्षमता से भाव प्रकट करता ।        सब आवाज लगाते ,अरे कितना मेक अप करेगा ।बहुत हो गया। छुटकू कहता बस मेक अप ही एसी चीज है जो  चेहरे मे सब छिपा लेती है । आँसु ,दर्द सब । और गाना गाने लगता  ' कहता है जोकर सारा जमाना आधी हकिकत आधा फसाना'🎶🎵 और हसँने लगता। सब उसकी बातो को कभी गम्भीरता मे नही लेते थे। वो हमेशा फोन मे चार्ली चैपलीन ,रोनाल्ड मेकडोनाल्ड के विडियो देखता। हसाँने के विडियो देखता।  छुटकू की बहन की शादी थी ।दुसरे

रिवाज....

  ये कटक गाँँव की कहानी है जहां रीति रिवाज बनाए गए और उनका गलत फायदा उठाया गया या यह कह लीजिए अंधविश्वास ने उस गांव को पूरी तरह अपने काबू में कर रखा था पंचायत का राज चलता है और सरपंच की सब माना करते है  । सरकार क्या है?उसके कानुन कोई नही मानता है । जी ऐसे गाँव अब भी है।       कटक मे आज एक मेला आयोजित किया गया जो कि साल भर में एक बार आता था और इसका इंतजार पूरे गांव वाले बड़े जोर-शोर से करते थे। खासकर केसरी ।केसरी केवल 13 साल की थी और अपने बचपन को पूरी तरह खुशी से बिता रही थी ।केसरी आ जा कब तक खेलेगी ?काम जरा काम में हाथ बटाले बिटिया केसरी की मां ने केसरी को आवाज दी ।केसरी अपनी सहेली चंपा के साथ खेत में खेल रही थी ।            खेत के बराबर में ही केसरी का घर था केसरी की का एक भाई था जो कि खेतों में काम करके अपना और अपनी मां -बहन का पालन पोषण करता था ।आई मां अभी आई चंपा ने केसरी से कहा क्या केसरी! अभी तो आई है और अभी चल दी । कल खेलूंगी चंपा आज मां का हाथ बटाना है ।मां को घर में बहुत काम है केसरी मां के पास काम में हाथ बताने लगी। भूख लगी है पहले खाना दे दो माँ । हाँँ खा ले वही  रखा है त

जुदा होके भी तु मुझमे कही बाकी है...

आरती और मयंक की जिंदगी  में निकुंज का पहला कदम ...जिंदगी में आना कोई सपने से कम नहीं था। आरती जी को बहुत साल हो गये थे, नन्हे कदमो के इंतजार मे जो कि उनका आज शादी की 7 साल बाद पूरा हुआ ।निकुंज ..जैसे उनके लिए खिलौना था। उसी से उनका दिन शुरू होता और उसी से ही रात जो वह मांगता वह उसी दिन पूरा हो जाता।       निकुंज कुछ खा ले  बेटा ।गरम - गरम लाई हूं ,नही... मां मुझे नहीं खाना । निकुंज तू क्या खाएगा ? बेटा मैं वही बना दूंगी ।आरती जी हर तरह से उसकी कोशिश करती कि मेरे बेटे की सब जरूरतें पूरी हो जाए।       निकुंज कॉलेज में आ गया था। जरा सी देर हो जाती, आरती तुरंत फोन करके पूछती निकुंज कहां हो ?इतनी देर क्यों हो गई? निकुंज घर आकर गुस्से से चिल्लाने लगता ..क्या जरूरत थी मुझे कॉलेज में फोन करने की कोई मैं छोटा बच्चा हूं जो खो जाऊंगा । आज के बाद से मुझे फोन मत करना मेरे दोस्त मजाक बनाते हैं । आरती चुपचाप तू रूँँआसी  हो जाती। धीरे धीरे निकुंज अपने दोस्तों अपनी नौकरी में व्यस्त होता चला गया और मां-बाप का रोकना टोकना उसको बुरा लगने लगा ।              निकुंज की शादी की बात करने से पहले ही, नि