काश समाज का सोचा ना होता
काश ...... विदाई हो रही थी साधना की। घर सुना सुना हो गया मम्मी पापा ने रो रो कर आँखें सुजा ली थी । जान से प्यारी बेटी ना जाने कैसे रहेगी?नया घर, नया माहौल भूख लगेगी तो कैसे कहेगी ?यहाँ तो शोर मचाने पूरा घर सिर पर उठा लेती। कुछ तो दो खाने को अभी देर कैसे हो गयी बनाने में कहने लगती तब कुछ हल्का सा दे दे ती तब शांत होती।कैसे कहेगी वहाॅ॑?मधु जी ने रोते हुए मनीष जी से कहा।मनीष जी की आंखें भर आई। शाम को फोन कर देगें।मधु ने फोन मिला दियाहैलो साधना बेटा नमस्ते मम्मी ,पापा कैसे हैं बहुत याद आ रही है।बेटा रोना नहीं कल पग फेरे के लिये आना है।हमारा भी मन तुम में ही पड़ा है ।जल्दी आजा।सब ठीक है वहां? हाँ मम्मी आज संगीत है।तैयार हो रही थी। कल घुमने जा रहे हैं। वापस आकर पग फेरे की रस्म होगी।ओहहह अरे ऐसा क्युं?मम्मी पता नहीं कम छुट्टी मिली है ,रोहित को शायद इसलिये , अच्छा चल तुझे तैयार हो जा ।हम दोनों बाद में बात करते हैं।ओके मम्मी पापा आई लव यु । ससुराल वाले जो करेंगे अब तो वो ही होगा। फोन पर बात हो जाती थी साधना से ।पर साधना की आवाज में वो खुशी महसुस नहीं होती जो मम्मी पापा चहकना सुनना