वो दिन ना भूलें पाउॅ॓गीं

कुछ यादें ऐसी होती है जो भुलाई नहीं जा सकती अचानक कभी-कभी जब वह बातें याद आती है तो एक मुस्कुराहट अकेले बैठे भी आ जाती है ऐसे ही कुछ कहानी है शुभी की ।

शुभी नाश्ते बनाती पर खाना नहीं बनाया था।  मम्मी के साथ  । हां कभी-कभी वह  यूट्यूब और टीवी पर देखकर  नाश्ते  खिलाया करती थी ।

देखो पापा यह कैसा बना है आज ही मैंने टीवी पर देखा कटलेट है पर कुछ टविस्ट के साथ मिक्स सब्जी इसमें ,मैंने थोड़ा सा ब्रेड मिक्स करके बनाया है और थोड़ा सा मसाला चटपटा कैसा बना है?  मैं कहां चिकनाई खाता हूं पर तू लाई है तो चले चख  लेता हूं ।
वाहह बहुत टेस्टी  !अच्छा पापा बहुत अच्छा बनाया ।बहुत ही अच्छा ।

ऐसे ही नई-नई चीजें कोशिश करूंगी और आप को खिलाऊंगी।अरे !अब कैसे बनाएगी अब तो ससुराल जाने का समय आ गया पापा ने हंसते हुए कहा ।पापा क्यों ? मेरा रिश्ता हो गया मैं तो यही रहती आराम से अरे बेटा सबको जाना पड़ता है वही अपने सास ससुर और अपने हस्बैंड   मोहित  को खिलाना बना बना कर।

 मैं तो बस नाश्ते ही बनाऊंगी खाना बनाने का मुझे बिल्कुल शौक नहीं है ।बेटा धीरे-धीरे सब आ जाएगा शुभी की शादी हो गई और ससुराल पहुंच गई और कुछ दिन तक तो घूमने अच्छे से और खूब खातिरदारी हुई। उसके बाद जब रसोई का टाइम आया समय आया तो सासु जी ने कहा जो भी आए थे तुम्हारी मम्मी ने छोले छोलेफल   बढ़िया बनाए थे ।मैं भी बनाती हूं तुम्हारी  मम्मी कैसे बनाती है  ?


तुम्हें आते हैं ?शुभी मन में सोचने लगी कि ना कहूं वैसे तो सब ने तारीफ करी थी कि सुबह नाश्ते बहुत अच्छी बनाती है और अब खाने की बारी आई तो मैं मना कर दूं तो हां मम्मी जी मुझे आते हैं और  अच्छा तो बेटा आज तुम हमें काशीफल मैं देती हूं  बाकी मैं आटा पूरी का    रायता सब बना  लूंगी । तुम काशीफल और छोले बना लो छोले उबाल दिये है ।ये लो काशीफल काट लो ।


शुभी ने कभी काटा नहीं था । तो छिलका उतारते समय ज़्यादा अंदर का भाग काट दिया । काशीफल जरा सा बना और पानी ज्यादा था तो चटनी की तरह हो गया। । छोले भी बना लिये । जैसे ही बने ।

काशीफल जरा सा था एक  कटोरी में ही बन पाई। डाइनिंग टेबल पर पुलाव छोले सब्जी और रायता सब रखा गया और सब को खाना दे दी सर्व कर दिया गया ।शुभी ने घबराते हुए वह एक-एक चम्मच काशीफल की सब्जी 1 चम्मच की प्लेट में रख दी।

सबने सोचा काशीफल बना ना भूल गई। सब समझदार थे तो पूछा नहीं। थोड़ी देर बाद सासु मां ने पूछा शुभी काशीफल भूल गई तुम शाम को बना देना । कहां है जो फ्रिज में रखती हूं ।मम्मी जी काशीफल  तो मैंने आज ही बना लिया  मम्मी जी थोड़ा सोचा और  हंसने लगी अच्छा वह सब तो हम चटनी समझकर लगा लगा कर खा लिया हमें लग रहा था कि काशीफल का स्वाद है पर काशीफल पर की चटनी नयी रेसेपी लगी।

कुछ दिन बाद मोहित की मम्मी को कहीं जाना था उन्होंने बोला शूभी तुम कोफ्ते बना लोगी ?

 मैं बनाने जा रही थी पर लोकी कस दी है  । मैं जरा आधे घंटे के लिए कहीं जा रही हूं ।आने में देर हो सकती है ।हां मम्मी जी मुझे तो आते हैं मैं बना लूंगी ।  शुभी शर्मा की वजह से मम्मी जी को यह कहीं नहीं पाई कि उसने आज तक लौकी के कोफ्ते नहीं बनाए हैं।   शुभी तुम्हें पता है ना वह  पकौड़ियों की तरह से होते  हैं और फिर फ्राई करते हैं सब्जी बनाकर हां जी मम्मी जी, मम्मी बहुत बनाती है मुझे पता है।

अब लोकी में बेसन के साथ शुभ ने  पानी मिला बेसन मे  लौकी ने अपना पानी भी काफी निकाल दिया था तो पकौड़ी तलने के लिए वह बैटर तैयार हो ही नहीं पा रहा  था। शुभी घबराहट में पसीना पसीना हो गई आधे घंटे से ज्यादा हो गया था सासु मां भी आ गयी उन्होंने देखा मन में मुस्करा दी।

शुभी रुको । मैं करती हूं । उन्होंने देखा और उस सारे लौकी और बेसन को एक छलनी से छान लिया। फिर दोबाराबेसन मिलाकर पकोड़े बनाकर को बना दिए और शुभी से बोले शुभी बेटा यह भी तुम्हारा घर है मैं तुम्हारी मम्मी जैसी ही हूं तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं है अगर वह फिर नहीं बनाए थे तो मुझे बता देती और या पूछ लेती । कोफ्तो में पानी नहीं डालते बनाते समय। जी सब्जी बनायेगें तब डालेगें।


शुभी  कुछ ऐसे करती तो मम्मी जी को एक मुस्कुराहट से आ जाती पर घर बहुत समझाने वाले लोग थे तो सब संभाल लिया करते थे।1 दिन शुभी ने सोचा कुछ नया नाश्ता बनाया जाए और उसने यूट्यूब पर उत्पम तुरंत बनने वाला
 देखा।  उसने उसने मम्मी से कहा कि मम्मी मैंने आज कुछ नया नाश्ता बना रही हूं सब लोग इंतजार करने लगे।

 अब उसने सूजी दही और सब्जी वगैरह सब मिक्स करके उसका उत्पम बनानी चली ।पर बनाया नहीं था तो अभ्यास ना  होने की वजह से बार-बार पर चिपक जा रहा था और टूट गया था ।वह उसने जितने बनाए उत्पम नहीं बन रहे थे।  पूरे उतर नही रहे  थे  टूट रहे थे ।अब अपनी थोड़ी सी इज्जत भी रखनी थी थोड़ी शर्म भी थी  ।सबको इंतजार करतेकदेख उसनेउसने  एक स्टाइलिश से बाउल में उत्तपम को छोटे-छोटे टुकड़ों को करके और उसमें फोक  लगा लगा कर सबके आगे चाय के साथ रख दिया और सब को बताया कि उत्तपम  है ट्विस्ट के साथ । और सब लोग चटनी  लगा लगा कर उत्पम  बसे खा लिया स्वाद अच्छा था तो सब ने खूब अच्छे से खाया और और कुछ दिन बाद    मोहित ने जब  दोबारा बनाने के लिए कहा सभी को शरमाते हुए उस दिन की बात बताई । बताया कि उस दिन पूरा नहीं निकल रहा था  इसलिए उसने वो  फोक  के साथ में नए नाम के साथ पेश कर दिया था सब खिल खिलाकर हंस ने लगे और शुभी शर्मा गई।

ऐसे ही कुछ खट्टी मीठी यादें होती हैं जैसे शुभी के साथ हुई यह नई ससुराल में जाने पर सब के साथ कुछ ना कुछ ऐसा घटता ही है आप सबके साथ कुछ ऐसा हुआ हो तो शेयर करिएगा ।वो दिन  भी कभी नहीं भूल पाएगें।

मौलिक रचना
अंशु शर्मा
 27 मार्च 2018

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