कनक (भाग-1)

मीशू ने सुबह न्यूज पेपर उठाने के लिये दरवाजा खोला ,सामने देखा तो सामने का दरवाजा खुला था, चलो कोई पडोस मे तो आया  । रोहन चलो मिल आये मीशू ने रोहन को कहा, रोहन ने कहा  मीशू  अभी अभी आये है सामान बिखरा हुआ है कल चलेगें । क्या  रोहन बैठेगें नही केवल कुछ                               औपचारिकता तो निभानी चाहिये , नये नये है कुछ चाय, पानी चाहिये हुआ तो...चलो ना ,हाथ पकड कर ले जाने लगी अच्छा ठीक है रोहन  ने कहा...चलो पर थोडी देर के लिये।सामने डोर बैल की ,एक मीशू की हम उम्र ने दरवाजा खोला , कौन है एक पीछे से तेजी से आवाज ...हम है  आपके पडोसी  मीशू  ने भी तुरंत कहा और एक छोटी सी मुस्कुराहट , सामने हम उम्र सी दिखने वाली शिफान की साडी को पल्ला कमर मे दबाये ,पसीने से लथपथ ,एक छोटी सी मुस्कुराहट से कहा आईये अंदर मै कनक हूँँ, तभी जा तू काम कर ,एक बुजुर्ग महिला आती हुई बोली । कनक घबराकर अंदर चली गयी। आओ अंदर आओ ..मेरा बेटा राघव और उसके पिता जी बाहर गये है।,नही नही बस रोहन ने कहा आपको किसी भी चीज की जरूरत हो तो बे झिझक कहियेगा। जी जरूर,और मीशू , रोहन घर आ गये ।रोहन कुछ अजीब सी डरी थी ना कनक, मीशू रसोई से ही बोली..अरे एसा नही है काम कितना होता है नये घर मे आने से..रोहन ने बोला। वैसै तो दोनो घर के दरवाजे बंद ही रहते थे
          पर कभी कभी आंटी और मीशू   एक दुसरे से हालचाल पूछ लेते पर कनक कभी दिखती नही , शायद काम मे लगी रहती , राघव भी कभी कभी रोहन से बात कर लेते थे ।मीशू की आँँखे कनक को तलाशती।एक दिन पूछ ही लिया आंटी कनक नही दिखती ...नही वो ज्यादा किसी से नही बोलती ,अपने घर के काम मे ही उलझी रहती है।अरे आंटी उस से बोलना यहाँ सब बहुत अच्छे है ,नीचे पार्क मे बहुत सहेलिया शाम को आती है, आप कहै तो मै मिला दूगीं ।कनक का खुब मन लगेगा मीशू ने हसँते हुये कहा।नही वो कही नही आती ,जाती कहकर आंटी घर मे चली गयी ।
         मीशू को लगा शायद कम ही बोलती होगी, शाम को रोहन व आफिस से आये मीशू चाय ले आई..रोहन मै क्या सोच रही थी कनक ये सब नये है हमे चाय पर बुलाना चाहिये..जैसा ठीक लगे रोहन ने टीवी न्युज देखते हुये बोला।ठीक है कल संडे है सब घर होगे शाम को आने को बोलती हूँ। कहकर मीशू इनवीटेशन देने पहुँच गयी ।दरवाजा खुला ही था ,राघव को सामने देखकर मीशू ने चाय पर बुला लिया ,राघव ने भी आने का वादा कर दिया।मीशू ने भी नाश्ते मे कसर नही छोडी कोई पहली बार आ रहे थे .गरम समोसा ,जलेबी ,ढोकला और  भी ना जाने कितना सामान खुशी से लगा दिया था।कनक भी  साडी मे आई थी , मीशू ने चाय बनाते समय उसे रसोई मे ही बुला लिया ।
         कनक भी हाँ और ना मे ही मीशू की बात का जवाब दे रही थी,इतने आंटी ने आवाज अरे बहुत देर से क्या कर रही हो अंदर कनक बीना कुछ कहे तेजी से बाहर कमरे मे आकर बैठ गयी ।सब बातें करते रहे पर कनक चूप ही थी, कनक तुम पार्क आया करो मै मिलवाती हूँ अपनी सहेलियो से तुम्हे अच्छा लगेगा। नही इसे पसंद नही आंटी कनक से पहले ही बोल दी। सब ने चाय की तारिफ की और सब चले गये। रोहन ये कनक कौन से जमाने की है बोलती ही नही।रहने दो तुम्हे क्या तुम्हारे पास क्या दोस्तो की कमी है।
कुछ दिन बाद मीशू जींस टाप पहने घर से निकल ही रही थी कनक और आंटी सामने लिफ्ट मे देखकर  नमस्ते आंटी कहाँ जा रही है ?बस कुछ घर का सामान ..और तुम एक निगाह ऊपर से नीचे मीशू को देखते हुये बोली...मेरी किटी पार्टी है ,कनक तुम जोइन करना चाहोगी ,मै मै..नही कनक ने सकुचाते हुये कहा अरे आकर देखो एक बार..नही ये सब नही इसे पंसद..कहकर आंटी लिफ्ट से बाहर चली गयी।मीशू को समझ आ गया था कि कनक की कुछ नही चलती।अगले दिन कनक सामने देख कर मुस्कुरायी मीशू ने भी मुस्कुरा दी। कैसी है आप कनक को पहली बार खुद से बोलता देख मीशू को अच्छा लगा मै ठीक हूँ , आंटी कहाँ है?उनकी कुछ सहेली बन गयी रोज पाँच बजे जाती है और सात बजे वापस। और बाबू जी भी घुमने जाने लगे है।तुम तो.चलोगी नही ये पूछकर मीशू पार्क चली गयी। अब रोज आंटी के जाने के बाद मीशू से बोलने लगी ,मीशू भी पार्क आधा घंटे बाद जाने लगी।कनक धीरे धीरे खुलने लगी पर घर के  लोगो के सामने आते ही डर से आवाज नही निकलती।
         राघव ,रोहन भी आपस मे खुलने लगे थे। एक दिन राघव हमारे घर हमे डिनर पर बुलाने आये।दोनो समय पर पहुँच गये ,राघव रोहन की अच्छी बनने लगी थी वो बातो मे बिजी हो गये।मीशू कनक काकी मदद करने रसोई मे आ गयी। आंटी नही दिखाई दे रही है ,नही वो अपने मायके शादी मे गयी है तभी तो...इतना कहकर कनक काम मे लग गयी।कनक ने बहुत कुछ बनाया था छोले ,कोफ्ते रायता, भँरवा सब्जियाँ खीर पुलाव.... सबने खुब तारिफ भी की।मीशू ने राघव को कहा कनक किटी मे आये ,राघव ने तुरंत हाँ कर दी हाँ हाँ प्लीज आप इसे ले जाइये घर से बाहर ही नही जाती।हाँ हाँ कयो नही तो कल से ही सही कल मेरे ही घर किटी है और थीम है शार्ट कुर्ता ,पटियाला सलवार ,दुप्पटा।नही नही किटी नही...--अगला भाग पढिये
क्या कनक जायेगी ? राघव समझ पायेगा कनक का डर किस बात से घबराती है पढिये दुसरा भाग....कनक 2

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