अगर तु साथ है तो....

विभा का  आज आखिरी पेपर था वो खुशी से फूली नही समा रही थी। अब बस सुमी के साथ खुब बातें करेगी,  बी.ए की परिक्षा दी  थी।जैसे ही घर के दरवाजे पर कदम रखा  जोर से आवाज करती हुई माँ को बोली माँ जल्दी से खाना दे दो फिर मै आज देर तक सुमी से मिलने जाँँऊगीहाँ हाँ पहले खाना खा फिर चली जाना जल्दी जल्दी कपडे बदल कर खाना खाने बैठ गयी माँ तुमने खाना खाया ,विभा ने पूछा नही तेरे बाबूजी आते होगें तभी खा लूँँगी।
           विभा सुमी के घर गयी सुमी की  मम्मी बोली आज तुम दोनो के पेपर खत्म हो गये और एक खुश खबर भी देनी है लो खीर खाओ ।विभा उत्ससुकता से पूछने लगी आंटी पहले आप खुशखबर बताओ  , सुमी की मम्मी ने बताया अभी पता चला सुमी  की जहाँ शादी की बात चल रही थीं उन्होने हाँ कर दी लड़का  बडी कम्पनी मे  है और परिवार भी बहुत अच्छा है राज करेगी कहकर सुमी की मम्मी सुमी को देखकर हसँने  लगी। सुमी अभी शादी के लिए तैयार नही थी वो कुछ बनना चाहती थी,लाख बार समझाने के बाद भी मम्मी पापा   हाथ से अच्छा लड़का  जाने नही देना चाहते थे।विभा ने खीर खाई और खुब तारिफ भी की वो भी आंटी को समझाने मे असर्मथ थी।
       समय तेजी से बीत गया  विभा ने बी.एड. किया और उसकी शादी भी एक इन्जिनियर रोहित से हो गयी।सुमी ने भी मम्मी, पापा की खुशी मे अपनी जिंदगी को आगे बढाया। दोनो अपनी जिन्दगी मै खुश और व्यस्त हो गयी।पहले कभी कभी फोन पर बात हो जाती थी ।फिर वो भी धीरे धीरे कम हो गयी ,दोनो के परिवार भी अलग अलग शहर मे बस गये ।बचपन की दोस्ती भूले नही थे बस गृहस्थी मे उलझ गये थे  । 
      एक दिन विभा को स्कूल  के काम से कम्पयूटर सिखने के लिए दुसरी स्कूल की शाखा मे भेजा गया जैसै स्कूल के बाहर आटो को रुपये   देकर  घूमी तभी किसी से टकराई  देखा तो कोई और नही वह सुमी थी ,दोनो गले मिलकर रोए जा रही थी ।विभा और सुमी ऐसे मिलेगी सोचा भी ना था ..दोनो के पास समय कम था इसलिये सुमी ने बताया वो पास मे ही रहती है..दोनो ने फोन नंबर लिए और अगले दिन सुमी के घर मिलने का वादा किया।दोनो ने अपने घर बात बताई।खुशी के मारे विभा सो नही पा रही थी ।       
      अगले दिन विभा ने जल्दी काम किया अपनी चार साल की बेटी को लेकर सुमी के पहुँँच गयी ।सुमी के भी पाँँच साल की बेटी थी ,बच्चो को खाने के लिए बिस्कुट देकर रसोई मे बातें करते करते पकोडे बनाने लगी।  विभा सवाल पर सवाल पूछ रही थी         सुमी चुप चुप सी धीरे धीरे जवाब दे रही थी पर विभा को सुमी , सुमी नही लग रही थी,  कुछ तो था जो सुमी छिपा रही थी। दोनो की बेटी आपस मे खुब घुलमिल गयी थी। खाना खाते समय विभा से रहा नही गया।विभा ने पूछा सूमी सच सच बता क्या बात है देख मै बिना पूछे नही जाने वाली। सुमी की आँँखो से आँँसु बहते जा रहे थे ।सुमी कहने लगी विभा मेरे पति की कम्पनी बंद हो गयी। कोई नौकरी नही मिल रही ससुराल की भी जिम्मेदारी है..पता नही क्या होगा? काश मैनै कोई तेरी तरह कुछ र्कोस किया होता, तो इनका सहारा बनती ।विभा ने सुमी को चुप कराया और समझाया सब ठीक हो जायेगा,नौकरी दुसरी जल्दी ही मिल जाएगी।और जल्दी मिलने का वादा कर घर आ गयी।
      घर आकर काम मे मन ही नही लग रहा था ये बात अपने पति को बतायी।उसके पति ने ध्यान दिलाया  विभा तुम कहती थी सुमी खाना बहुत अच्छा बनाती है ।विभा का चेहरा खिल गया और पूरानी बातें सुनाने लगी कि कैसै उसकी मम्मी और वो कुछ ना कुछ बनाते तो विभा के लिये जरूर रखते।तब हो गया तुम्हारी सहेली की समस्या का समाधान। रोहित मुस्कुराते हुये बोला  विभा चहकते बोली क्या सोचा जल्दी बताओ ?रोहित बोला मेरी कम्पनी मे जो दोस्त अकेले रहते हैं उन्हे अच्छा  खाना नही मिलता तो सुमी केटरिगं यानी घर का खाना बना कर दे सकती है।फोन पर  विभा ने सारी बातें सुमी को बतायी सुमी ने डरते डरते हाँ कर दी ।खाना कैसै जायेगा इसका इंतजाम भी रोहित ने कर दिया था ।पहले दिन खाने कि बहुत तारिफ हुई। सुमी का विश्वास और बढ गयाऔर आँडर आने लगे ।सुमी के पति को भी दो -तीन  महिने मे दुसरी नौकरी भी मिल गयी। 
    दोनो के पति भी अच्छे दोस्त बन गये थे।सुमी और उसका पति दोनो का धन्यवाद करते जा रहे थे विभा ने सही अर्थ मे अपनी सहेली को उसके पैरो पर खडा कर दिया था जो वो शादी से पहले करना चाहती थी।सही मायने मे दोस्ती का अर्थ सुख दुख मे साथ निभाना था ।दोनो परिवार और करीब  आ गये था ।विभा हँसते हुए कहने लगी अभी तो ये दोस्ती बुढापे तक साथ निभेगी...सब एक साथ बोले ये वादा रहा ।
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धन्यवाद
चित्र... गुगल का आभार

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