खींचे तेरी ओर प्यार की डोर
कैसी घड़ी है दुविधा घेरे खड़ी है ,अनजानी उलझन है, शायद मैं परेशान हूँँ...
आज इस मोड़ पर, दुख के इस छोर पर मैं हैरान हूँँ , शायद मैं परेशान हूँँ।
वक्त के साथ लोग पीछे छूट जाते हैं पर यादों को भुला नहीं पाते हैं
मीठी यादों के घेरे में , आज मैं हैरान हूँँ शायद मैं परेशान हूं ...
यह कैसी रीत है, कैसा है फसाना, तुम्हें हमें छोड़कर दूर है जाना
जहां भी जाओगी, ना हम भूल पाएंगें, ना तुम भूल पाओगी
सोचती हूं तुम्हारे जाने से ,कितनाअकेला पाती हूँँ मैं ,
बीते लम्हों को याद करके , मैं हैरान हुँ.... शायद आज मैं परेशान हुँ...
कैसे रह पाऊँगी मौली के बिना ? बस राखी ने मन की बेचैनी डायरी मे लिख डाली और बंद कर दिया डायरी को । सब मेहमान चले गये ,चाय पीने का मन भी था पर बनाने की बिल्कुल़ इच्छा नही , सिर दर्द भी हो रहा था । शायद आराम मिले सोच कर उठने लगी तो मानव दो कप चाय बनाकर ले आये ।ये लो अदरक की तेज पत्ती की चाय ।अरे आपने क्युं बना ली । आज हमारी लाडो विदा हुई तो सूना लग रहा है घर । कप लिये दोनो खिडकी के पास बैठ गये जहाँ अकसर बैठते और बाहर का मौली को खेलता , नाचते देखते मौली कभी भी नाचने, झुमने लगती ।उसको देखते और मन का सुकुन ढुंढते। मौली ने बड़े प्यार से अपने छोटे से मैदान मे फूल लगाये थे। खालीपन बहुत महसुस हो रहा था ।राखी को आँसु रुक ही नही रहे ,आँसु टप टप बुँदों की तरह गालो पर गिरे जा रहे थे और राखी अपने हाथ से पूछे जा रही थी। मानव चुप करा रहा था । जैसे कल कि बात हो मानव राखी ने आँसु पोछते हुये कहा।
आज अतीत के पन्नै मन मे खुलते जा रहे थे। बंद करने की कोशिश भी नाकाम थी। घर सुना हो गया । आज खाली घर अच्छा नही लग रहा था। डायरी के पन्ने दोनो पढ रहे थे ।डायरी मन की बाते बोल रही थी । दोनो अतीत मे खो गये।
सब लोग मानव और राखी के प्यार की मिसाल देते थे । जोड़ी हो तो ऐसी । दोनो मे प्यार बेशुमार था, एक दुसरे की बात बिना बोले जान जाते थे ।बस एक ही बात ने राखी का दिल छलनी छलनी कर दिया था ,मानव ने राखी से आफिस से आते ही कहा राखी चाय मिल जाये तो बात बन जाये अभी लाई कहकर राखी चाय बना लाई और एक फोन आते ही मानव के चेहरे पर पसीने आ गये ।मै आता हुँ कहकर कार की चाबी उठाई ।राखी कुछ काम है मै आता हुँ मानव ने कहा। किसका फोन है परेशान क्यू लग रहे हो?बस जरूरी काम है तुम सो जाना ,आफिस का काम आ गया शायद रात भर काम करना पड़े। कहकर चला गया।
राखी परेशान हो गयी । नींद कोसो दूर थी पहली बार ऐसा हुआ था। अगले दिन ना जाने कितनी बार फोन मिला लिया पर बंद था सोचा चार्जर नही लिया होगा। शाम को मन पसंद का खाना बनाने मे लगी पर ध्यान मानव मे ही था ।पहली बार अकेला रही थी रात को। डोर बैल बजी दरवाजा खोलते ही मुस्कुराहट थी की मानव को बहादुरी बतायेगी अकेली रही। थोडा नाराज होगी। पर उदास मानव और उनका हाथ पकडे़ लगभग एक दो साल की लड़की। आगे बढते रूक गयी मानव ये किसकी प्यारी बेटी है कौन है ..इसके मम्मी पापा कहाँ है?
अरे मै पानी लाई ,बैठो और गोद मे उठाकर सोफे पर बैठा दिया । और पानी और खाने को बच्ची के लिये दुध और बिस्कुट ले आई । बताओ ये किसको ले आये ?
मानव ने हाथ पकड़ कर बैठो नजरे नीचे करते बोला । अब राखी को बात गम्भीर लगने लगी ।राखी मुझे माफ कर दो ,जो सजा दोगी मान लुँगा। मैनै तुम्हे धोखा दिया है ।क्या मतलब राखी ने अपना हाथ छुडा लिया।
ये लड़की मौली है । मेरी और समायरा की बेटी। राखी के सिर पर पहाड़ गिर गया था ।
राखी गुस्से मे ना जाने क्या क्या सुनाये जा रही थी । मानव ने कहा गलती मेरी है मानता हुँ ।पर धीरे बोलो राखी मौली डर जायेगी। क्यु बोलु मै धीरे मेरी जिन्दगी को नरक बना दिया ।राखी रो रो कर सुनाये जा रही थी ।मानव उठ कर मौली के पास गया मौली की आँखे नींद से भरी थी , गोद मे लिया और मौली थककर तुरंत गोद मे ही सो गयी ।मानव कमरे मे सुला आया। तुम इसे घर क्यु लाये हो? क्या करता?
हास्पिटल से फोन आया समायरा काम से वापस आ रही थी एक्सिडेन्ट हुआ और मरते समय एक चिट्ठी छोड़ गयी। ये रही चिट्ठी।कहकर राखी को पकड़ा दी। राखी ने पढ़ना शुरू किया।
हैलो मानव
जब तक ये पत्र तुम्हे मिलेगा मै बहुत दूर जा चुकी होगीं। मानव याद है जब हम आफिस मे मिले थे ,और धीरे धीरे दोस्त बने और फिर शादी का फैसला कर लिया था । तुम मनाने गये और तुम्हारे परिवार वाले नही माने थे ।हमने परिवार के खिलाफ शादी की ।
तुम्हारे पापा को हार्ट अटैक आया और तुम चले गये और नही आये । कितने फोन किये जब मुझे मौली हमारी बेटी के आने का एहसास हुआ तब मै आई थी तुम्हारे घर तुम्हे बताने ,तुम्हारी शादी थी । पर मै वापस आ गयी ।तुम भूल गये मानव मुझे मझधार मे छोड कर।शायद पापा की मजबुरी होगी पर एक बार आते तो । कोई और लड़की तुम्हारा इंतजार कर रही थी । मेरे लिये आसान नही था अकेले ।पर मैनै सोचा मै खुद संभालुगी मौली के जन्म के बाद। मौली दो साल की होने वाली है दो दिन बाद । पर आज एक्सिडेन्ट मे शायद ना बच पाऊँ । मेरे माता पिता बचपन मे ही गुजर गये। मौली मेरी सहेली के पास है तुम्हारा फोन नम्बर दे रही हुँ और पता भी । आशा है तुम अपनी पत्नी को मौली के बारे मे समझा पाओ । तुम्हारी समायरा
देखो मानव मुझसे कोई उम्मीद मत रखना बच्ची की । तुम खुद सभांलोगे उसे ।मै तुम्हे छोड़ नही सकती क्युकि माँ बीमार रहती है सहन नही कर पायेगी ।राखी ने गुस्से मे कहा मानव ने कहा मै समायरा को और तुम्हे धोखे मे नही रखना चाहता था ।पापा ने बिना पूछे तुमसे तय कर दी और हार्ट अटैक मे बचने कि उम्मीद नही थी और मजबुर होकर शादी करनी पड़ी ।पर मैनै तुम्हारे प्यार मे कोई कमी नही की तुम्हारा क्या कसूर था ये सोचकर । और समायरा प्रगनेंट है ये भी नही पता था ।शादी के बाद मै गया था समायरा से मिलने पर वो शहर छोड चुकी थी । नया फोन नम्बर भी नही था। शादी इतनी अचानक हुई कि समायरा को बता नही सका ,पापा आईसीयू मे थे तो जाकर नही बता सकता था ।
कुछ भी हो राखी बोली मै नही देखुँगी, पत्र फैक कर कमरे मे चली गयी।
मानव मौली को सभाँलने लगा । सुबह सब मौली की देखभाल करता और आफिस जाते समय डे केयर मे छोडता ,रात को ले आता घर । मौली कभी आकर राखी को पकड़ लेती मम्मा कहती । राखी का तरस आता पर मानव का ध्यान आते ही दूर चली जाती। मानव पर काम दुगुना हो गया।एक दिन मौली बुखार मे तप रही थी डे केयर से फोन आया मानव का नम्बर नही मिल रहा ।घर का नम्बर है।ना चाहते हुये राखी को मौली को लाना पड़ा ।मौली जोर से गले लग गयी शरीर तप रहा था डाक्टर को दिखा कर घर ले आई पानी की पट्टी रखती कभी गोद मे लेती ।राखी की ममता जाग रही थी ।मौली तुतलाती हुई मम्मा बोलती और कसकर लिपट जाती राखी से ।राखी को उठने ही नही दे रही थी ।मानव आया तो देख कर दंग रह गया।
राखी कमरे से चली गयी ।खाना खाकर राखी ने कहा मै रात को सुला लुँँगी मौली को ।और उस दिन प्यार आने लगा मौली पर ,बहुत प्यारी थी मौली बातो से मन मोह लेती । राखी उससे गले से लगा कर सोई ,माँ की ममता का अहसास हो रहा था ,छोटे छोटे हाथ उसके गालो पर रखे थे। सुबह देखा तो बुखार उतरा नही था कम था ।
मानव ने कहा राखी एक दो दिन और संभाल लो मै कुछ इंतजाम करता हुँ ।राखी बिना बोले अंदर चली गयी । मौली को कपडे बदले, दुध दिया । मौली उसको जाने नही दे रही थी । उसे गोद मे लिये ही पुलाव बना दिया ।विडियो दिखा उसका मन बहलाया ।मौली मम्मा मम्मा करती ।राखी चुप थी नन्ही सी जान को क्या कहती । कमजोरी भी थी ।बुखार उतरने मे चार पाँच दिन लग गये ।एक हफ्ता दोनो साथ रहे । मौली मम्मा कहकर पीछे पीछे चल देती कभी गालो पर प्यार करती , कभी हँस देती खिलखिलाकर ।राखी गोद लिये रहती ।
बुखार उतरते ही मानव उसे हास्टल छोड आया ।प्ले ग्रुप मे एडमिशन करा दिया था। राखी बेचैन थी ।उसे मौली की याद आने लगी कुछ खालीपन था घर सुना -सुना हो गया। तभी फोन आया मौली ने रो रो कर बुरा हाल कर दिया था मानव ने बताया आफिस से लौटेगा हास्टल हो आयेगा । देर होगी आने में। राखी को गोद मे मौली के होने का एहसास हो रहा था । बार बार उसकी हँसी याद आ रही थी कभी उसका तुतलाना।
राखी की बेचैनी बढ गयी , कही मुझे तो याद नही कर रही होगी । भूख भी कोसो दूर थी । बार बार फोन को देखती मानव को फोन करू क्या फिर सोच कर रूक जाती । मौली की बातें याद आ रही थी ।मानव को फोन कर ही दिया । कब तक आओगे? मानव ने बताया देर होगी मौली आने नही दे रही। घर ले आओ कल भेज देना कहकर रख दिया फोन। मानव मुस्कुराया राखी को समझता जो था।आज मानव की दिये पुराने दुख मौली के प्यार के आगे फीके हो गये थे । आज बस मौली को देखने का मन था।
घर आकर मम्मा कहकर चिपक गयी मौली । कहाँ थी आप ?मौली बोली मिस कर रही थी आपको , मै कही नही जाऊँगी ,आपके पास ही रहुँगी।बस फिर वो दिन कभी नही आया मौली राखी से अलग हुई हो । दोनो मे सगी माँ बेटी जैसा प्यार जो हो गया था । प्लेग्रुप ,डांस ,स्कुल ,कालेज सब एक दुसरे से बाते शेयर की मस्ती मजाक सब था । । माँ बेटी कम दोस्त ज्यादा थी । समय पखँ लगा कर उड़ गया और मौली को उसका मनपसंद साथी मिला, मौली डाक्टर बन गयी । और आज धूमधाम से उसकी शादी की । प्यार सब पूरानी बातो को अनदेखा कर देता है ।
मौली ससुराल चली गयी । आज राखी के जिगर का टुकड़ा थी मौली ।
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