कहीं ऐसा ना हो जाये
गौरी को पाँच साल हो गये शादी करके आये।वो प्यार के पल कैसे बीत गये तुषार के साथ पता ही नही चला । सब आसपास के कहते जैसे नयी नयी शादी हुई हो। बस एक कसक थी कोई बच्चा नही था ।इलाज करा कर थक गये ।कोई उम्मीद भी नही रही ।तुषार ने गौरी को इतना संभाला कि बच्चे की याद आकर उदास होती तो तुषार कुछ सरप्राइज देता कि दर्द भूल जाती ।
तुषार की दोस्ती माला से हुई बराबर का ही केबिन था । माला सुंदरता की मिसाल थी,जो देखता देखता रह जाता ।सोच ,पहनावा आजकल के जमाने का । तुषार से काम के सिलसिले मे बाते होती रहती ।माला की शादी नही हुई थी ।अभी नयी थी शहर मे ।आफिस के गेस्ट हाउस मे रूकी थी ,आफिस कि तरफ से एक महिने को मिलता है जब तक घर ना ढुंढ ले। तुषार ने अपने घर के ऊपर मकान दिलाने मे मदद की थी। पड़ोसन बन कर आ गयी थी माला । गौरी भी अकेले होने कि वजह से माला का ध्यान रखती । दोनो मे दोस्ती होने मे ज्यादा समय नही लगा । गौरी कुछ भी बनाती माला को भेजती ।माला भी तारिफ करते नही थकती।
माला ,गौरी के करीब आ गयी थी ।बच्चा ना होने कि वजह से गौरी, माला को अपना दर्द बताती ,माला की गोद मे सिर रख कर बड़ी बहन की तरह रो लेती ।माला समझा देती ।
एक दिन माला को गौरी ने फोन किया । माला आई तो गौरी ने रो रो कर बुरा हाल था क्या हुआ ? क्युं रो रही हो गौरी दीदी? आब तुषार का दुख नही देखा जाता ।मुझे नही बताते पर अलग कमरे मे रोते देखा बच्चे के लिये, कल सब आफिस वालो ने अपने बच्चो को घुमाने का प्लान बनाया ।पर तुषार सीने मे दबा गये दुख ।रात रोते हुये देखा ।टूट गयी मै। ना मायके बता सकती हुँ रोज रोज एक ही बात ना ससुराल से । तुम ही हो ।जिसे बता सकती हुँ ।
आज जो मागुँ दोगी ? माला ने चौंंक कर कहा क्या बोलो दी ? मेरे , तुषार के बच्चे की माँ बनोगी ?? क्या कह रही हो दीदी मै समझी नही ,माला पसीने पसीने हो गयी। गौरी ने कहा तुम हाँ कर दो तो तुषार को मै समझा लुँगी । ये हमारा अपना होगा बच्चा तुम को जानते है समझते है हम एक साल हो गया साथ । मान जाओ गौरी ने हाथ जोड़ कर कहा। नही दीदी हाथ मत जोड़िये सैरोगेट बनना ये बहुत बडा़ फैसला है मेरे घरवाले तैयार नही होगें। मेरे लिये लड़का देख रहे है। मुझे समय चाहिये ।
कुछ दिन तक माला समझाती रही परिवार तैयार नही था । माला कि जिदद ने अपने परिवार को मना लिया।
तुषार को जब पता चला बहुत नाराज हुआ ,गौरी ने अपने मारने कि धमकी देकर कुछ दिनो मे मना लिया । माला का चेक अप हुआ हो कुछ दिनो मे माला को खुश खबर मिली । तुषार और गौरी माला का खुब ध्यान रखते ।गौरी को लगने लगा अब तुषार ,माला का ध्यान रख रहा है और उससे दूर तो नही चला जायेगा।
माला को जो चाहिये ,तुषार तुरंत हाजिर कर देता। गौरी को लगता कही तुषार को खो ना दुँ वो तुषार से बार बार पूछती की माला को तो प्यार नही करने लगे ।तुषार समझाता कि इस समय माला और बच्चे उसकी ज्यादा जरूरत है। वो हम दोनो का बच्चा है ।पर गौरी
को लगता माला को सैरोगेट बनवाना कही फैसला गलत तो नही । माला माँ जैसा महसुस करने लगी । वो जो अहसास महसुस करती गौरी को बताती ।
पर गौरी को नकारात्मक विचारो ने घेर लिया ।उसे लगने लगा कि माला उसकी जगह ना ले ले । उसकी अब जरूरत नही ।
तुषार ,गौरी के साथ रहता और गौरी से बाते करता पर तो गौरी को लगता तुषार उसके साथ खुश नही ।
माला और बच्चा ही अब उसकी खुशी है। तुषार समझाता पर गौरी अपने मन को नही समझा पा रही थी कि माला को थोडे़ ही दिन ही तुषार की जरूरत है।
आज वह दिन आ गया जिसका सबको इंतजार था ।माला को तुषार और गौरी हॉस्पिटल लेकर गए। माला को एडमिट करने के लिए ले गए ।तभी तुषार कुछ डॉक्टर से बात करने लगा।
गौरी ने एक पत्र नर्स को देते हुए कहा कि इसे तुषार को दे देना और हॉस्पिटल बाहर चली गयी। नर्स ने तुरंत तुषार को पत्र दिया लिखा था तुषार मै जा रही हुँ अब मेरी जरूरत नही तुम माला और बच्चे के साथ खुश रहना । तुषार पढ़कर हॉस्पिटल से बाहर निकल गया उसको गौरी हॉस्पिटल के बाहर टैक्सी का इंतजार करती मिल गयी ।
.. तुषार ने तुरंत गौरी को गले से लगा लिया ,यह क्या कर रही हो ,गोरी कहाँँ जा रही हो मुझे छोड़कर। ? तुम्हें कैसे मैं बताऊं , तुम मेरे लिए क्या हो ?तुमने अपने दिमाग में पता नहीं क्या क्या सोच रखा है ।गौरी मैं तुम्हें भूला नहीं हूं। सिर्फ माला और हमारे बच्चे के लिए हम दोनों का फर्ज बनता है कि हम उनका ध्यान रखें ।
माला शादीशुदा ना होकर भी हमारे लिए इतना बड़ा त्याग कर रही है, वो भी अपने घर वालों की मर्जी के बिना। हमें उसका शुक्रगुजार होना चाहिए और तुम ध्यान रखने की बात को ना जाने कहां से कहां ले गई। मैंने कितना समझाया तुम्हें ।
तुम्हारे बिना मैं जी भी नहीं सकता हम दोनों मिलकर उस बच्चे को पा लेंगे, जो हमारा इस दुनिया में आने वाला है। चलो गौरी माला एडमिट है उसे हमारी जरूरत है।
गोरी रोने लगी और माफी मांगने लगी , माफ कर दो तुषार मेरे मन में पता नहीं क्यों तुम्हें खोने का डर बैठ गया ।और मुझे ऐसा लगने लगा जैसे तुम माला के साथ अपना जीवन बिताना चाहते हो ।
चलो गौरी अभी यह वक्त नहीं है अभी हमें माला के पास जाना है । तुषार ने कहा ।हॉस्पिटल के अंदर आते ही डॉक्टर ने बताया कि माला ने बेटी को जन्म दिया है और वह सबसे पहले गौरी दीदी के गोद में उस बच्चे को देखना चाहती हैं
थोड़ी देर बाद माला को होश आ गया माला ने बताया गौरी दीदी तुम कहां चली गई थी, मुझे छोड़कर इस हालत में , मुझे थोड़ी देर पहले नर्स ने सब कुछ बता दिया।
अगर गौरव मेरी चिंता करते तो मुझे ऐसे अकेले छोड़कर नहीं जाते ।वह मुझे छोड़कर तुम्हारे पास तुम्हें ढूंढने के लिए चले गए। आपने ऐसा सोचा भी कैसे? बच्चे को डॉक्टर ने गौरी की गोद में दे दिया ।गौरी ने तुरंत जाकर माला के पास बच्ची को दिया और बोली माफ कर दो गौरी कई बार आँखो पर पर्दा पड जाता है ।यह देखो तुम्हारी बच्ची। बच्ची को माला की गोद मे दे दिया ,देखो हुबहु तुम्हारे जैसी है। माला ने कहा मैं उसकी मासी हूंँ ।आप इसकी माँँ । सब खुश हो गये ।
माला के घरवाले भी आ गए थे , कुछ दिन बाद हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद माला ने अपना तबादला (अपने घर) शहर में करवा लिया ।गौरी और तुषार ने बहुत रोकना चाहा पर माला ने कहा दीदी रुक गई तो दिल पिघल जाएगा ।मेरा यहां से जाना ही ठीक होगा मासी बनकर आती रहूंगी और बच्ची से मिलती रहूंगी। तुषार और गौरी माफी मांगने लगे माला तुमने हमारे लिए जो भी किया है हम उसका कर्ज़ कभी नहीं चुका सकते। सबकी आँखो मे नमी थी ।
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