माॅ॓ आपने चलना सिखाया आओ आपको उड़ना सिखा दूं

आज सांझ बाहर खड़ी है और अपनी मां का बाहर आने का इंतजार कर रही है सही तो है हर लड़की अगर अपनी मां के लिए लड़े और उसको आत्मनिर्भर बनाएं इससे अच्छा उस मां के लिए कुछ नहीं हो सकता।

 सांझ को मां चलना सिखाया था और आज सांझ अपनी मां को उड़ना सीखा  चुकी हैं।

इंतजार करते समय सांझ पुरानी यादों में खो जाती है ।उसने कैसे बचपन में अपनी मां को अपने संयुक्त परिवार में एक दूसरों के लिए जीते हुए देखा और माॅ॓  भी है मजबूरी में नहीं करती थी । बहुत खुशी मिलती थी यह सब करने में उसको ।अपने परिवार की जुड़ा महसूस होता था ।जबकि सास -ससुर के अलावा जेठ -जेठानी, नंद उसको कुछ नहीं समझते।

 वह कैसे फिरकी की तरह सुबह उठकर एक कमरे से दूसरे और दूसरे से तीसरे कमरे दौड़ती रहती। किसी का टिफिन पैक कराना होता ।सुबह 5:00 बजे उठकर नहाती और उसके बाद उसका दिन रसोई से शुरू होता और रसोई पर खत्म ।किसी को आलू के पराठे चाहिए होते ,कोई पोहा खाता था ,कोई सैंडविच खाता था और वो खुशी खुशी शायद ही कोई भूखा ना चला जाए और अगर जा ही रहा है तो हाथ में बिना टिफिन लिए चला जाए ऐसा तो हो ही नहीं सकता ।

किसी के लिए जूस बनाने में ।आलस नही करती ,थक कर बैठ कर चाहती भी तो काम के ढेर लगे हुए थे। झाड़ू पोछा बर्तन के लिए भले ही काम वाली थी पर रसोई का काम था कि खत्म ही नहीं होता था ।पति काफी साल पहले छोड़ गये दुनिया से ।

घर में सब नौकरी करते ।सास ससुर ,जेठ दिखानी सब। सांझ अब बाॅरवी में आ गयी ।रोज माॅ॓ को सबके लिए काम करते देखती। आज 12वीं का रिजल्ट आ गया था और सांज फर्स्ट डिविजन से पास हुई। उसने बी.एस.सी एडमिशन लेने के लिए सोचा और आज पार्ट टाइम नौकरी कर ली थी। मां ने उसके लिए तरह तरह के पकवान बनाए थे और घर में रात को खाना खाने के बाद सांझ ने सबको बोल दिया था कि आज से उसकी मां काम नहीं करेगी वह एक खाना बनाने वाली का इंतजाम कर देगी ।पार्ट टाइम में नौकरी में उसको काफी पैसे मिल रहे थे।

 जिससे वह अपनी मां के लिए एक खाना बनाने वाली रख सकती थी ।
सब परिवार  वाले इस  से नाखुश थे और कहने लगे कि घर कैसे चलेगा? खाना खाना बनाने वाली उनके स्वाद अनुसार खाना नहीं बना सकती और सबकी फरमाइशी अलग है। सांझ भी अपनी बात पर अड़ गई थी कि सब नौकरी करते  खाना बनाने  वाली क्यों वाली रख सकते ?

उसकी मां क्यों खाना बनाएं ?सांझ की मां आरती बार बार इशारा करके मना कर रही थी बोलने के लिए ।सांझ को लग रहा था   कि आज तो उसे सब कुछ कह देना चाहिए। वह अपनी मां को इस तरह काम करते  हुए घर में नहीं देख सकती थी।


कम उम्र मे पापा   चले गये दुनिया से। एक्सीडेंट में ।उनके जाने के बाद उसने कभी सोचा ही नहीं कि मां इतना काम करती है और उसकी अपने लिए भी जरूरत है ।जैसे जैसे  बड़ी हुई उसको सब दिखाई दे रहा था ।

आज उसने कसम खा ली थी कि वह मां को इस जिंदगी से निकाल कर नयी  जिंदगी में दिलायेगी।  क्योंकि आज  वो आत्मनिर्भर थी कम ही सही पर उसे कुछ पैसे मिल रहे थे। कुछ एडवांस मिला था और उसने अपनी मां का ब्यूटीशन का कोर्स करने के लिए एडमिशन करा दिया था।

 मां की खूब नाराजगी के बाद भी नही मानी । आरती घबराहट बोल रही थी। ये क्या कह रही है सांझ ?  चुप हो जा ।  मैं ठीक हूं  । तुझे क्युं लगता है मैं परेशान हुं ? ये मेरा घर है ।खुश हूं मेरे घर  का ही काम है ।
आरती को लग रहा था ‌‌‌‌कि मैं कभी  न बोली उसी घर में उसकी बेटी इतना कुछ बोल गयी।

 नही मैं ऐसा नहीं कर सकती।मैं क्युं करूं ?मुझे कुछ नहीं चाहिए सब कुछ तो है। मैं आज तक घर के बाहर नहीं गई ।और मुझे जरूरत ही क्या है कुछ करने की।

 नहीं मां , मैं कुछ कह नहीं पाई और  कहना   चाहिए था  ।  मैं पढाई के साथ काम करूगी मां।  आज  कर रही हूं तो मुझे लग रहा है कि आपको भी आत्मनिर्भर बनना ही चाहिए। कब तक पापा के ना होने के बाद भी आप इस घर में नौकरानी की तरह काम करती रहोगी?


 आप की भी कुछ खुशियां है किसी ने सोचा ही नहीं ।कुछ सहेलियों के पास तक आप जा  कर नहीं बैठ सकती क्योंकि किसी को शाम की चाय चाहिए ।किसी को दोपहर के खाने का वक्त है ।मां मैंने भी कसम खा ली थी ।जिस दिन मेरे हाथ में थोड़े से पैसे आएंगे ,मैं आपको आपको इस दुनिया से बाहर की दुनिया दिखा दूंगी ।

आपने मुझे चलना सिखाया था ना उंगली पकड़ के !आज मैं आपको  उड़ना सीखा रही  हुं। आपको करना  होगा ।मुझे नहीं पता मुझे कुछ सुनना ही नहीं है। मैंने आपका वी.एल.सी.सी ब्यूटीशियन का कोर्स में एडमिशन दे दिया है। कम से कम आप कुछ नहीं करो तो उससे सीख कर आप चार लोगों से मिलोगी। आपको अच्छा लगेगा । खुशी मिलेगी ।

मुझे बहुत घबराहट है  सांझ । मैं कभी घर से बाहर भी ज्यादा नहीं जाती आसपास की दुकान तक ही एक दो बार गई हूं कि सब काम तो बाहर के लोग यह सभी कर लेते हैं घर के।सांझ नाराज हो कर सुबकने लगी।  अब क्युं रही है  तु ? मुझे रूलायेगी?
तेरे पापा के जाने के बाद तू ही तो थी जिसे पकड़ कर रो लेती थी। उनके परिवार को अपना माना ।थकने नहीं दिया शरीर काम से। पर मन तक गया । तुझे देखकर जी उठती थी।


अब हिम्मत नहीं कुछ बोलने की घर में। सुख शांति से कट जाते जिन्दगी बस। आरती रोने लगी। दोनों गले लग गयी। कलयुग चले आते छोड़कर तेरे पापा ।दोनों सुबक रही थी।
तेरे पापा होते बस। सब था। चल कोशिश करूंगी तेरे लिए पर मन नहीं लगा तो नहीं करूंगी।


और एक बात घर काम करने से नही रोकेगी  । वो मेरा परिवार है । मुझे अच्छा लगता है उनके लिये करना । ओहोओ मां आप नही सुधरने वाली। सांझ गले लग गयी आरती के। चलो मानी तो आप ।


मां सुबह तैयार हो जाना 10:00 से दोपहर के 3:00 बजे तक का टाइम है और  सीखने के बाद आपको ट्रेनिंग के तौर पर भी वह लोग कुछ पैसे देंगे और सीखने के बाद आप अपना घर पर या कुछ पार्लर का कोर्स कर लेना ।पारलर खोल सकती हो ।मां हमारा गुजारा भी हो जाएगा ।मैं भी नौकरी करूंगी और आपका भी मन लगा रहेगा सारा दिन घर से बाहर निकलोगी  तो मन खुश होगा ।सब परिवार वाले नही मान रहेे थे ।पर सांझ ने कुछ सुनने से मना कर दिया। सांंझ को

सबने बुरा भला कहा ।पर सांझ  को कुछ फर्क नही पड रहा था। उसे पता था ये सब होगा।

सांझ मां के लिए एक नया सूट लेकर आई थी घर से बाहर जाने के लिए आपको आराम रहेगा और अपने आप को आप को बदलना ही पड़ेगा।  यह देखो कितना प्यारा सूट लाई हूं मैं !

और आज उसने अपनी मां को तैयार करके ब्यूटीशन का कोर्स सीखने के लिए दरवाजे पर छोड़ दिया था । और आरती डरती डरती कदम बढ़ा रही थी । उसको पसीने आ रहे थे और वह बहुत घबरा रही थी।

 जैसे साथ पहली बार स्कूल गई थी तो उसे घबराहट हो रही थी और उस  दिन आरती वापस आई तो खुशी से झूम रही थी ।सांझ  को पकड़कर गोल गोल घूम रही थी ।

आरती बोले जा रही थी बच्चो की तरह ,और सांझ मुस्कुरा रही थी।  सब लोग इतने अच्छे हैं सब ने मुझसे बहुत प्यार से बात की।  कुछ मेरी उम्र के, कुछ छोटे कुछ बड़े और वहां पर सभी लोगों ने इतना अच्छा से मुझे सिखाया और  बहुत ही मन खुश हो गया। बहुत कुछ सीखना है बहुत कुछ सीखना है ।आज मेरा मन बहुत खुश है। बहुत अच्छी  मेरी दो सहेलियां भी बनी मधु और मुस्कान पास में ही रहती है ।अब हम दोनों तीनों साथ ही जाया करेंगे। उन्होंने भी मेरे साथ ही दाखिला लिया है

 ।अच्छा मांं, आपको अच्छा लगा? देखा! मैं कहती थी ना घर से निकलेगी तो अच्छा लगेगा। हां आज मन इतना खुश हो रहा है। बता तू आज क्या खाएगी ?तेरे लिए बनाती हूंं शाही टोस्ट ।इस बहाने कुछ मीठा हो जाए और दोनों हंसने लगी ।आरती क्लॉस  के लिए चली सांझ ने  बिल्कुल तय कर लिया था की ट्रेनिंग के बाद वह मां को एक पार्लर खोल कर देगी ।आज सच मायने में एक बेटी ने मां को पंख दे दिये थे पारलर के रूप मे ,बस अब उड़ना बाकि था ।

आज आरती को समझ आ रहा था जिस दुनिया मे वो थी, वो परिवार के लोगो कि दुनिया थी ।बाहर कि भी एक दुनिया है  जो पति के जाने के बाद भूल गयी ।सीमित दुनिया से बाहर निकल आई थी।
मौलिक रचना
अंशु शर्मा
19-4-2019


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