अंतर्मन की ऑ॔खे
अंतर्मन की ऑ॔खे -------- नैना नाम था पर नैनो मे भगवान ने रोशनी ही नहीं दी थी ।नैना नेत्रहीन हुई। पर सुंदरता मे परी थी ।नैना के पिता आर्मी में थे ।नैना की मां , पिता नैना का बहुत ध्यान रखते थे ।दोनों उसको कुछ काम नहीं करने देते कि कहीं वह नहीं कर पायी तो.... , वह गिर जाएगी ,उसके चोट लग जाएगी , नैना पूरी तरह अपने मां और पिता पर निर्भर हो गई थी ।लाड़ प्यार में पता ही नहीं चला कि नैना बारँवी कक्षा मे आ गई। नैना के पिता के दोस्त आए और उन्होंने नैना के पिता को सूरज को समझाया कि तुम दोनों हमेशा उसके साथ नहीं रहोगे , उस को आत्मनिर्भर बनने दो , नैना के पिता सूरज ने कहा मुझे और किरण (नैना की मां )दोनों को नैना की बहुत चिंता रहती है ।हम पूरी जिंदगी तो उसके साथ नहीं रह सकते, पर क्या करे ?वो कुछ कर भी नही सकती । सूरज के दोस्त ने कहा बारँवी पूरी हो रही है । कंथारी में एक ट्रेनिंग सेंटर है, वहां उसका एडमिशन करा दो । लीडरशिप की ट्रेनिंग और आत्मनिर्भर बनाएगी। सूरज ने बिना देर किये तुरंत उसका एडमिशन कंथारी में करा दिया ।पर उन दोनों को हमेशा यह चिंता थी कि नैना जो एक गिलास पा