रिवाज....
ये कटक गाँँव की कहानी है जहां रीति रिवाज बनाए गए और उनका गलत फायदा उठाया गया या यह कह लीजिए अंधविश्वास ने उस गांव को पूरी तरह अपने काबू में कर रखा था पंचायत का राज चलता है और सरपंच की सब माना करते है । सरकार क्या है?उसके कानुन कोई नही मानता है । जी ऐसे गाँव अब भी है।
कटक मे आज एक मेला आयोजित किया गया जो कि साल भर में एक बार आता था और इसका इंतजार पूरे गांव वाले बड़े जोर-शोर से करते थे। खासकर केसरी ।केसरी केवल 13 साल की थी और अपने बचपन को पूरी तरह खुशी से बिता रही थी ।केसरी आ जा कब तक खेलेगी ?काम जरा काम में हाथ बटाले बिटिया केसरी की मां ने केसरी को आवाज दी ।केसरी अपनी सहेली चंपा के साथ खेत में खेल रही थी ।
खेत के बराबर में ही केसरी का घर था केसरी की का एक भाई था जो कि खेतों में काम करके अपना और अपनी मां -बहन का पालन पोषण करता था ।आई मां अभी आई चंपा ने केसरी से कहा क्या केसरी! अभी तो आई है और अभी चल दी । कल खेलूंगी चंपा आज मां का हाथ बटाना है ।मां को घर में बहुत काम है केसरी मां के पास काम में हाथ बताने लगी। भूख लगी है पहले खाना दे दो माँ । हाँँ खा ले वही रखा है तभी बुला रही थी ।उसके बाद बर्तन कर लेना और घर का काम सफाई कर लेना केसरी की माँ ने कहा। अच्छा माँँ... केसरी खाना खाने की मां आप भी जल्दी जल्दी काम कर लो मेला लगा है मेले में जाना है। नहीं बिटिया मैं घर पर बहुत काम है तू होकर पर रात होने से पहले आ जाना।
भैया भैया केसरी ने अपने भाई को आवाज दी भैया मुझे ₹100 दो ना! बहुत ज्यादा होते हैं ₹20 बहुत है ,मेले में घूमने के लिए ।नहीं भैया मुझे ज्यादा दो । मुझे बहुत सारी चीजें खानी है चूड़ियाँँ खरीदनी है, खाना खाना है ।अच्छा वहां चाट वाला भी आएगा ,कुल्फी वाला भी आएगा। चंपा खरीदेगी तो आपको अच्छा लगेगा क्या की बहन ने नहीं खाया।
अच्छा अच्छा बहुत बातें बनाती है यह ले ₹50 और 10 ऊपर से ले। समय से पहले आ जाना अच्छा भैया माँँ मैं जा रही हूँँ।
हां जल्दी आ जाना टाइम से समय से अच्छा मां जा रही हुँ। केसरी ,चंपा के साथ में ले चली गई और खूब चूड़ियां खरीदी झूला झूला ,पूरी आलु खाये। मग्न थी मेला देखने मे।
अचानक सरपंच की नजर केसरी परपड़ी और सरपंच ने सरपंच ने अपने नौकर को इशारा किया और नौकर ने सिंदूर की डिब्बी सरपंच की और कर दी सरपंच की उम्र कम से कम 50 साल होगी अब तक 4 शादियां कर चुका था ।उस गांव के रीति रिवाज के अनुसार जो भी उस साल किसी को कोई लड़की पसंद आती है और उसकी माँँग में सिंदूर भर देता तो वह उसकी पत्नी बन जाती। यह रीति रिवाज बहुत साल से चला रहा था और सरपंच इसका नाजायज फायदा उठा रहा था। वह अब तक चार शादियां कर चुका था 18 साल की उम्र में।25 साल की उम्र में ,35 साल की उम्र में ,38 साल की उम्र में और अब वह 50 साल का था जिसने किसी की मांग में सिंदूर भरा था। क्या नाम है तेरा? केसरी जोर से बोली यह क्या किया? मेरे सिर पर क्या लगा दिया? तेजी से मत बोल आज से मैं तेरा स्वामी हूँँ ।स्वामी बूढ़ा स्वामी बूढ़ा स्वामी नहीं होगा मेरा। ज्यादा मत बोल अपने घर में जाकर बता कि मैंने तेरी मांग में सिंदूर भरा है। मैं तेरा स्वामी हूं ।
केसरी भाग गई और अपने घर पहुँँची और रोने लगी देखो मां देखो मां एक बूढ़े आदमी ने मेरी मांग में क्या भर दिया । केसरी मां खुशी से झूम उठी ।केसरी तेरे भगवान ने तुझको सोने से लाद दिया ।नहीं माँँ वह मुझे अपना स्वामी बता रहा है ।हाँँ केसरी उसने तेरी माँँग भरी है ।तू खुश किस्मत है। तू सोने में खेलेगी। मुझे दाल चावल के लिए रोज इंतजार नहीं करना पड़ेगा ।कभी जो माँगेग वह तुझे मिलेगा ।नहीं मां ,नहीं मां मुझे बूढ़े आदमी से शादी नहीं करनी है उसके सिर पर बाल भी नहीं है ।पागल हो गई है क्या तेरी किस्मत बहुत अच्छी है ।तू सरपंच की बहू बनेगी बस पैसा ही पैसा होगा।
तुझे अकल नहीं है केसरी भाई भी समझाने पर लगा था कि मेरी जिंदगी सवर गई हम भी उतना अच्छा दूल्हा नहीं ढूंढ सकते थे तेरे लिए ।नहीं भैया.. मुझे शादी नही करनी बूढ़ा नहीं चाहिए। अभी तो मैं छोटी हुँ ।पढ़ना है ।भाई समझा रहा था और केसरी मान नहीं रही थी भाई ने 4-5 थप्पड़ लगा दिए और केसरी दूर जा गिरी। माँँ समझाओ इसे और माँँ कहती भाई को तू समझा दोनों केसरी को समझाने पर लगे थे। तभी सरपंच आये इसको समझाओ गांव में बड़ी बेइज्जती करके आई है मेरी ,इसको नहीं पता स्वामी का अर्थ क्या होता है नहीं मालिक जी बिल्कुल मान जाएगी अभी छोटी है ना भाई ने सिर झुका कर हाथ जोड़ लिये ।
इसको तैयार करो शाम तक नहीं माने तो मैं इसको पंचायत बुलाकर तुम्हारे गांव का बहिष्कार कर लूंगा ।उधर सरपंच की 4 बेटियां थी दो पत्नियो की मृत्यु हो गयी थी । सरपंच की पत्नी सरपंच से कहती है आप की दूसरी ला रहे हो हाँँ तो ...।। केसरी की मांग भर के आया हूं वह झुककर हाथ जोड़ कर सिर झुकाए खड़ी रहती जैसे जैसे पति का आदेश उसका भगवान का आदेश था ।
केसरी नही मानी ,पंचायत बुलाई गई और पंचायत का फैसला था पूर्वजों ने जो नियम बनाए हैं मान मर्यादा के साथ वह पूरे किए जाएंगे ।केसरी को सरपंच के घर जाना ही होगा ।किसी के घर वाले भी उसे भेजने को तैयार थे ।सरपंच भी और गांव भी बस केसरी नहीं मान गई थी। यह छोटी थी और घर से भाग गई। वह नहीं जाना चाहती थी सरपंच के घर किसी भाग गई थी अपने घर से जंगल में जाकर छिप गई कभी गांव वालों की नजर केसरी पर पड़ी और केसरी को पकड़कर सरपंच के घर लाकर रख दिया केसरी को बहुत मारा पीटा और उसको साड़ी पहनने को दे दी।
केसरी का दम घुट रहा था बचपन छिन गया था ।वो माँ की गोद मे सोना चाहती थी ।भाई के गले लगना चाहती थी। खेलने जाना था ।पर केसरी के दरवाजे बाहर के बंद थे।
एक दिन एक गाँव मे शादी मे केसरी सरपंच के साथ गयी ।वहाँ उसने अपने पास एक बहुत सुंदर औरत (किरन) को देखा ,और मुस्कुरायी। क्या नाम है ?उस औरत ने पूछा । केसरी ने जवाब दिया केसरी पर आप बहुत सुंदर हो । केसरी की मासुम बात से वो हँस दी । सिंदुर पर नजर पड़ते ही क्या उम्र है ?तरह साल ।केसरी ने जवाब दिया।अरे फिर शादी कैसै की कानुनी जुर्म है । और केसरी ने सारी बीती बातें बता दी।
केसरी का हाथ पकड़ के किरन सरपंच के पास गयी ।ये क्या इतनी छोटी बच्ची से शादी ?और पचास साल के हो ।चार शादी पहले कर चुके हो । जोर से किरन बोली लोग जमा हो गये आसपास । बहन जी कानुन नही मानता यहाँ ।पंचायत बैठती है ,र्पूवजो का मान रखते है ।बस....सब हाँ ही बोले ।आपना बोले तो ठीक रहेगा। उस समय किरन ने जाने मे भलाई समझी।
केसरी से वादा करके वो जल्दी आयेगी।
घर आकर सरपंच ने बहुत मारा। खाना नही दिया। किरन कुछ दिन बाद पुलिस के साथ आई और केसरी को ले गयी । सरपंच को पुलिस ले गयी ।क्युकि केसरी बालिग नही थी उसे नारी सहायता केन्द्र भेज दिया गया।
अठारह साल कि होने पर केसरी गाँव आई ।जहाँ उसके माँ ने दुसरी शादी कर ली और भाई ने रिश्ता रखने से मना कर दिया। सुना सरपंच भी दो दिन मे छूट गया ।और शादी कर ली।
केसरी ने नारी केन्द्र मे नौकरी कर ली।
आज भी ऐसे गाँव है जहाँ पंचायत फैसले करती है । सरकार का कानुन पता नही ।पंचायत का फैसला सिर आँखो पर रखा जाता है ।ना जाने कब समाज ऐसे गाँव को सही रास्ते पर ला पायेगा ।
धन्यवाद
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कटक मे आज एक मेला आयोजित किया गया जो कि साल भर में एक बार आता था और इसका इंतजार पूरे गांव वाले बड़े जोर-शोर से करते थे। खासकर केसरी ।केसरी केवल 13 साल की थी और अपने बचपन को पूरी तरह खुशी से बिता रही थी ।केसरी आ जा कब तक खेलेगी ?काम जरा काम में हाथ बटाले बिटिया केसरी की मां ने केसरी को आवाज दी ।केसरी अपनी सहेली चंपा के साथ खेत में खेल रही थी ।
खेत के बराबर में ही केसरी का घर था केसरी की का एक भाई था जो कि खेतों में काम करके अपना और अपनी मां -बहन का पालन पोषण करता था ।आई मां अभी आई चंपा ने केसरी से कहा क्या केसरी! अभी तो आई है और अभी चल दी । कल खेलूंगी चंपा आज मां का हाथ बटाना है ।मां को घर में बहुत काम है केसरी मां के पास काम में हाथ बताने लगी। भूख लगी है पहले खाना दे दो माँ । हाँँ खा ले वही रखा है तभी बुला रही थी ।उसके बाद बर्तन कर लेना और घर का काम सफाई कर लेना केसरी की माँ ने कहा। अच्छा माँँ... केसरी खाना खाने की मां आप भी जल्दी जल्दी काम कर लो मेला लगा है मेले में जाना है। नहीं बिटिया मैं घर पर बहुत काम है तू होकर पर रात होने से पहले आ जाना।
भैया भैया केसरी ने अपने भाई को आवाज दी भैया मुझे ₹100 दो ना! बहुत ज्यादा होते हैं ₹20 बहुत है ,मेले में घूमने के लिए ।नहीं भैया मुझे ज्यादा दो । मुझे बहुत सारी चीजें खानी है चूड़ियाँँ खरीदनी है, खाना खाना है ।अच्छा वहां चाट वाला भी आएगा ,कुल्फी वाला भी आएगा। चंपा खरीदेगी तो आपको अच्छा लगेगा क्या की बहन ने नहीं खाया।
अच्छा अच्छा बहुत बातें बनाती है यह ले ₹50 और 10 ऊपर से ले। समय से पहले आ जाना अच्छा भैया माँँ मैं जा रही हूँँ।
हां जल्दी आ जाना टाइम से समय से अच्छा मां जा रही हुँ। केसरी ,चंपा के साथ में ले चली गई और खूब चूड़ियां खरीदी झूला झूला ,पूरी आलु खाये। मग्न थी मेला देखने मे।
अचानक सरपंच की नजर केसरी परपड़ी और सरपंच ने सरपंच ने अपने नौकर को इशारा किया और नौकर ने सिंदूर की डिब्बी सरपंच की और कर दी सरपंच की उम्र कम से कम 50 साल होगी अब तक 4 शादियां कर चुका था ।उस गांव के रीति रिवाज के अनुसार जो भी उस साल किसी को कोई लड़की पसंद आती है और उसकी माँँग में सिंदूर भर देता तो वह उसकी पत्नी बन जाती। यह रीति रिवाज बहुत साल से चला रहा था और सरपंच इसका नाजायज फायदा उठा रहा था। वह अब तक चार शादियां कर चुका था 18 साल की उम्र में।25 साल की उम्र में ,35 साल की उम्र में ,38 साल की उम्र में और अब वह 50 साल का था जिसने किसी की मांग में सिंदूर भरा था। क्या नाम है तेरा? केसरी जोर से बोली यह क्या किया? मेरे सिर पर क्या लगा दिया? तेजी से मत बोल आज से मैं तेरा स्वामी हूँँ ।स्वामी बूढ़ा स्वामी बूढ़ा स्वामी नहीं होगा मेरा। ज्यादा मत बोल अपने घर में जाकर बता कि मैंने तेरी मांग में सिंदूर भरा है। मैं तेरा स्वामी हूं ।
केसरी भाग गई और अपने घर पहुँँची और रोने लगी देखो मां देखो मां एक बूढ़े आदमी ने मेरी मांग में क्या भर दिया । केसरी मां खुशी से झूम उठी ।केसरी तेरे भगवान ने तुझको सोने से लाद दिया ।नहीं माँँ वह मुझे अपना स्वामी बता रहा है ।हाँँ केसरी उसने तेरी माँँग भरी है ।तू खुश किस्मत है। तू सोने में खेलेगी। मुझे दाल चावल के लिए रोज इंतजार नहीं करना पड़ेगा ।कभी जो माँगेग वह तुझे मिलेगा ।नहीं मां ,नहीं मां मुझे बूढ़े आदमी से शादी नहीं करनी है उसके सिर पर बाल भी नहीं है ।पागल हो गई है क्या तेरी किस्मत बहुत अच्छी है ।तू सरपंच की बहू बनेगी बस पैसा ही पैसा होगा।
तुझे अकल नहीं है केसरी भाई भी समझाने पर लगा था कि मेरी जिंदगी सवर गई हम भी उतना अच्छा दूल्हा नहीं ढूंढ सकते थे तेरे लिए ।नहीं भैया.. मुझे शादी नही करनी बूढ़ा नहीं चाहिए। अभी तो मैं छोटी हुँ ।पढ़ना है ।भाई समझा रहा था और केसरी मान नहीं रही थी भाई ने 4-5 थप्पड़ लगा दिए और केसरी दूर जा गिरी। माँँ समझाओ इसे और माँँ कहती भाई को तू समझा दोनों केसरी को समझाने पर लगे थे। तभी सरपंच आये इसको समझाओ गांव में बड़ी बेइज्जती करके आई है मेरी ,इसको नहीं पता स्वामी का अर्थ क्या होता है नहीं मालिक जी बिल्कुल मान जाएगी अभी छोटी है ना भाई ने सिर झुका कर हाथ जोड़ लिये ।
इसको तैयार करो शाम तक नहीं माने तो मैं इसको पंचायत बुलाकर तुम्हारे गांव का बहिष्कार कर लूंगा ।उधर सरपंच की 4 बेटियां थी दो पत्नियो की मृत्यु हो गयी थी । सरपंच की पत्नी सरपंच से कहती है आप की दूसरी ला रहे हो हाँँ तो ...।। केसरी की मांग भर के आया हूं वह झुककर हाथ जोड़ कर सिर झुकाए खड़ी रहती जैसे जैसे पति का आदेश उसका भगवान का आदेश था ।
केसरी नही मानी ,पंचायत बुलाई गई और पंचायत का फैसला था पूर्वजों ने जो नियम बनाए हैं मान मर्यादा के साथ वह पूरे किए जाएंगे ।केसरी को सरपंच के घर जाना ही होगा ।किसी के घर वाले भी उसे भेजने को तैयार थे ।सरपंच भी और गांव भी बस केसरी नहीं मान गई थी। यह छोटी थी और घर से भाग गई। वह नहीं जाना चाहती थी सरपंच के घर किसी भाग गई थी अपने घर से जंगल में जाकर छिप गई कभी गांव वालों की नजर केसरी पर पड़ी और केसरी को पकड़कर सरपंच के घर लाकर रख दिया केसरी को बहुत मारा पीटा और उसको साड़ी पहनने को दे दी।
केसरी का दम घुट रहा था बचपन छिन गया था ।वो माँ की गोद मे सोना चाहती थी ।भाई के गले लगना चाहती थी। खेलने जाना था ।पर केसरी के दरवाजे बाहर के बंद थे।
एक दिन एक गाँव मे शादी मे केसरी सरपंच के साथ गयी ।वहाँ उसने अपने पास एक बहुत सुंदर औरत (किरन) को देखा ,और मुस्कुरायी। क्या नाम है ?उस औरत ने पूछा । केसरी ने जवाब दिया केसरी पर आप बहुत सुंदर हो । केसरी की मासुम बात से वो हँस दी । सिंदुर पर नजर पड़ते ही क्या उम्र है ?तरह साल ।केसरी ने जवाब दिया।अरे फिर शादी कैसै की कानुनी जुर्म है । और केसरी ने सारी बीती बातें बता दी।
केसरी का हाथ पकड़ के किरन सरपंच के पास गयी ।ये क्या इतनी छोटी बच्ची से शादी ?और पचास साल के हो ।चार शादी पहले कर चुके हो । जोर से किरन बोली लोग जमा हो गये आसपास । बहन जी कानुन नही मानता यहाँ ।पंचायत बैठती है ,र्पूवजो का मान रखते है ।बस....सब हाँ ही बोले ।आपना बोले तो ठीक रहेगा। उस समय किरन ने जाने मे भलाई समझी।
केसरी से वादा करके वो जल्दी आयेगी।
घर आकर सरपंच ने बहुत मारा। खाना नही दिया। किरन कुछ दिन बाद पुलिस के साथ आई और केसरी को ले गयी । सरपंच को पुलिस ले गयी ।क्युकि केसरी बालिग नही थी उसे नारी सहायता केन्द्र भेज दिया गया।
अठारह साल कि होने पर केसरी गाँव आई ।जहाँ उसके माँ ने दुसरी शादी कर ली और भाई ने रिश्ता रखने से मना कर दिया। सुना सरपंच भी दो दिन मे छूट गया ।और शादी कर ली।
केसरी ने नारी केन्द्र मे नौकरी कर ली।
आज भी ऐसे गाँव है जहाँ पंचायत फैसले करती है । सरकार का कानुन पता नही ।पंचायत का फैसला सिर आँखो पर रखा जाता है ।ना जाने कब समाज ऐसे गाँव को सही रास्ते पर ला पायेगा ।
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