प्यार की हथकडियाँ
बसंत आफिस से थका हारा घर आया और सोफे पर सिर टिकाये आँखे बंद पीछे की ओर टेक लगा ली और बोला आज बहुत काम था आफिस मे। नूरी चाय ले आई बसंत ने जैसे ही चाय ली , नूरी तुम्हे कितना ही अच्छा ला दो पहनोगी बेकार पूराना ही ,नूरी ने ध्यान दिया वो पूराना हल्दी लगा गाउन पहने हुए थी जिसे बसंत बहुत बार मना कर चुका था ।वो नया आने जाने के लिये रख दिया ।नूरी को पता था कि ऐसा ही होता था ,बसंत को गंदे कपडे़ पसंद नही थे।
बसंत ने कहा आने जाने के लिये भी लेने को किसने मना किया एक और ले ले ती । एक तो थके हारे घर आओ और एक तुम ये सब करके परेशान करती हो ।अगर मेरे साथ कोई दोस्त आ जाता तो इतना गंदा हल्दी ,घी के निशान लगे देखता क्या सोचता ?वो भी बात रहने दो अगर तुम अच्छा पहनोगी कि तो खुद तुम्हे अच्छा महसुस होगा । टिप-टाप रहा करो नूरी । बात खत्म हो गयी
कुछ दिन बाद बसंत आया हँसते हुये बोला , क्या बात बडे़ खुश हो नूरी ने भी पूछा ..हाँ नूरी जल्दी से तैयार हो जाओ हम डिनर पार्टी करने बाहर जा रहे है ,सौरब और उसकी पत्नी आते ही होगें ,साथ जा रहे है एक दोस्त की पार्टी है ,अचानक प्लान बना ,कल इतवार भी है तो आफिस की भी कोई टेंशन नही।
पहले बताना था ,तुम जाओ, इतनी जल्दी नही जा सकती नूरी ने कहा। बसंत बोला ,समय नही मिला नही तो बताता।सौरव और उसकी पत्नी रूबी भी है ,क्या बहाना करोगी ,अच्छा नही लगता ।जाओ तैयार हो जाओ नूरी तैयार होने चली गयी ,और साडी पहने लगी ,बसंत क्या पहनोगी ,ये साडी कितना फैशन पुराना है ,वो नयी कँहा है नेट वाली जो कुछ दिन पहले ही दिलायी थी ।वो पहन लो सौरव आता ही होगा ।नूरी का चेहरे का रंग उड़ गया। जाओ खडी़ क्यूंं हो?
वो ब्लाउज नही सिलने दिया ,सोचा सूमी कि शादी मे पहनुँगी । बसंत का गुस्सा सातवे-आसमान पर था। सुमी की शादी को आठ महिने है । तुम्हारी नये कपडे संभालने कि आदत कब जायेगी।
कोई रूपये की कमी नही ,हर बार तुम कुछ ऐसा करती हो ,वहाँ सब एक से बढकर होगें ,मै नही चाहता तुमको ये लगे कि मैनै अच्छा नही पहना ।ध्यान रखा करो ,चलो आज सूट पहन लो जो शादी की सालगिरह पर दिलाया था ।नूरी बहुत सुंदर थी लाल रंग मे वो बहुत सुंदर लग रही थी ,बसंत तारिफ किये बिना ना रह सका...और गाने लगा ये चाँद सा रोशन चेहरा......🎵🎼🎶तारिफ करू क्या उसकी जिसने तुम्हे बनाया🎵🎼नूरी मुस्कुरा दी।
पार्टी बहुत अच्छी रही । पर बसंत को समझ नही आ रहा था कि कैसे समझाये कि आज के तौर तरिके के हिसाब से रहना पडता है।
सुबह अचानक फोन आया कि नूरी के मामा मामी रात को आ रहे है रात को रूकेगे इस शहर मे काम है । रात को बसंत जल्दी आ गया ,बाजार से नाश्ते खाने का सामान भी ले आया। सबने अच्छे से बाते की। नूरी ने खाना खिलाने के लिये डाइनिंग टेबल पर बुलाया ,सामने स्टील के बरतन मे खाना लगा देखकर बसंत का चेहरा फीका पड गया , सबको बैठा कर ,सलाद लेने के बहाने से रसोई मे आया । नूरी तुम्हारा ध्यान कँहा है ?क्यू क्या हुआ?नूरी हमारे पास दो डिनर सेट है और तुमने घर की प्लेट मे खाना दिया , अगर नही होता तब बात अलग थी। वो मामा ,मामी तो घर के ही है उनसे क्या दिखाना, वैसे भी मैने सोचा अब कोई रिश्तेदार तो आ नही रहा डिनर सेट ऊपर स्लेप पर रख दिया था ।कोई मेहमान खास आयेगें तो उतार लेगें । नूरी ने जवाब दिया , बसंत ने कहा पर वो पहली बार हमारे घर आये है , ये जरूरी सामान ऊपर रखने कि जरूरत क्या थी? और ये तो घर के लिये भी चाहिये होता है । तुम्हे कौन समझाये कहकर बसंत उनके साथ खाना खाने लगा पर मन से खुश नही था ।
नूरी किसी को देने के लिये सस्ती चीजे लाती उसे फिजुल लगता किसी पर खर्च करना ।बसंत नाराज हो जाता और नये सामान लाकर देता । समझाता जब हम घर मे प्रयोग नही कर सकते तो दुसरो को कैसे दे सकते है । नूरी नया सामान अलमारी मे रख देती और पूराने बरतन प्रयोग करती । बसंत को अच्छा नही लगता पर नूरी बदलना नही चाहती थी। बातचीत कम हो गयी , नूरी परेशान हो गयी लगा रिश्ता हाथ से छूट रहा है।
बसंत और नूरी मैं बोल चाल नहीं हुई दोनों अपने भी बात पर अडे थे। दोनों सोच रहे थे पहले वह बोलेगा उसकी गलती है इसी तरह एक दो दिन बीत गए ।दोनों में अहम था। अगले दिन अचानक बसंत के जन्मदिन पर उसके सब सौरव और रूबी सरप्राइस देने के लिए उनके घर आ गए ।डोर बैल बजने पर बसंत ने दरवाजा खोला और चौंंक गया ! अरे बताया तो होता ।हैप्पी बर्थडे। सरप्राइस.....रूबी अंदर नूरी से मिलने चली गई । कहां है नूरी ?नूरी अचानक देख कर चौक गयी अरे आप दोनो ने तो सरप्राइज कर दिया।
नूरी रसोई में चाय बनाने चली गई ।रूबी चेहरा उदास देखकर समझ गयी और नूरी से बार बार पूछने पर बताया ,सब साथ बैठे और दोनो को समझाया आज बंसत का जन्मदिन है दूरी अच्छी नही । पति- पत्नी मे से किसी कि हार ,जीत नही होती या तो दोनो हारते है या दोनो जीतते है । दोनो को अपनी गलती का अहसास था । बसंत ने वादा किया वो बार बार टोकेगा नही ,नूरी भी बंसत की बातो को मानने को तैयार थी । अब से वो नयी चीजे सभांल कर नही रखेगी ।सोच बदलेगी ।दोनो अपनी गलती मान रहे थे ।
सौरब ने कहा सजा दोनो ने कि है तो सजा भी दोनो को मिलेगी। दोनो के हाथो को एक दुसरे के हाथो मे पकड़ा दिया और बोले...ये है प्यार कि हथकड़ियाँ ....छुटेगीं नही ।
छोटी छोटी बाते अहम होने से बडी हो जाती है । दोनो मे समझदारी हो तभी रिश्ते की नींंव मजबुत होती है । समझाने वाले अच्छे दोस्त हो तो टूटे रिश्ते जुड जाते है , और वही भडकाने वाले हो तो रिश्ते टूटते देर नही लगती ।दोस्तो पति ,पत्नी का रिश्ता 'मै 'नही होता 'हम 'होता है। जहाँ 'मै 'आया रिश्ता कमजोर हो जाता है ।मिलकर मकान को घर बनाते है । वो पहले बोले या मै ये नही होना चाहिये ।सारी जिंदगी तो लड़कर नही रह सकते ,इसलिये बात कोई भी करे रिश्ता दोनो का ही मजबुत होता है । ये प्यार की हथकड़ियाँँ है ।पूरी जिंदगी प्यार के बंधन मे बंधने कि सजा ।
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